ब्राह्मण सम्राट अशोक मौर्य से नफरत क्यों करते हैं? #samratashokmaurya #Hamaraitihas #shortvideo #shortstory #manojdey #chhotu #Chandragupta Maurya #kahani #kahaniya #comedy #SamratAshokmauriyastoryhindi #indiankings
चाणक्य नाम का कोई आदमी इतिहास में हुआ ही नहीं, बाल्की मध्यकाल के समय उसे चंद्रगुप्त के साथ जोड़ दिया गया। सम्राट अशोक के समान अदभुत, अद्वितीय कोई सम्राट दुनिया में नहीं हुआ।
😂😂😂😂😂 अरे वाह , तभी तो तुम लोगों को सुवर से भी नीचे रखा गया है , पूर्वज चूतिया नही थे , तुम्हारी यही औकात है , खैर बात रही चाणक्य की तो उसके बहुत से प्रमाण हैं , और स्लेबस की बुक्स में भी उनके चरित्र हैं
मैं इंसान हूं और मुझे गुलाम पसंद है।दूसरा यह है कि मैं सब पर राज करना चाहता हूं यह मेरी इच्छा है। सच्चाई बस इतनी है भावनाओं की। ऐसी भावनाओं को किसी भी समाज में किसी भी काल में खत्म नहीं किया जा सकता। ब्राह्मणों का मायाजाल नंद साम्राज्य और मौर्य साम्राज्य के लिए था। इस मायाजाल में भ्रम पैदा किया जाता है और लोगों को काल्पनिक कहानियों सुनाकर दिग्भ्रमित किया जाता है इस मायाजाल में ब्राह्मणों ने वहम का प्रयोग किया और वहम का इलाज कहीं नहीं होता है वहम पैदा करने के लिए कुछ तथ्यों को हटाया गया मिटाया गया और जोड़ा गया। जिसकी वजह से हमारा देश हजारों साल तक गुलाम रहा। खुद को श्रेष्ठ दिखाने के लिए ऐसा किया।
ऐतिहासिक तौर से देखा जय तो चाणक्य का कोई इतिहास नहीं है, चंद्रगुप्त मौर्य का समकालीन मेगास्थनीज ने इंडिका बुक लिखी, समस्त शासन का वर्णन किया पर प्रसिद्ध चाणक्य का जिक्र तक नहीं किया।
Mulniwasi to hum ST log hai Bhai. .SC kab se mulniwasi ho gaya pata hi nahi chala. . Tum log bharamin thakur obc yadav minority ka naukar chakar tha .jo ushika sath aaye tha ..
@@digvijaykumardigvijaykumar7320 भगवान है या नहीं ह... मुझे ये तो नहीं पता... लेकिन मैं कर्म में विश्वास रखता हूं... मेरे अनुसार अगर भगवान sach मैं है तो वो मेरा अं|कलन मेरे कर्मों से करेगा...ना की इस बात से करेगा की मैंने उसकी कितनी देर पूजा की है,,,, कितने घंटे मैंने पूजा मैं मंदिर में bitaye हैं या मैंने आपने जीवन mai कितना दूध,jal खाना धूप अगरबत्ती चढ़ायी है 😊😊💗....ईश्वर सच में है तो वो भी कर्मा मैं याकिन रखता hoga ♥️🪄...bass हमारे कहने का उदेश्य गलत नहीं है ना ही आपको आहत करने का मेरा इरादा है ... अगर आपको आहत है तो हम आपसे माफ़ी चाहते हैं ♥️♥️🪄.... आप जय श्री राम बोलिये जय हनुमान बोलिये या जय कृष्ण बोलिये आपका जो मन हो वो आप बोलिये...लेकिन कभी कभी uss संविधान की भी जय बोलिये जो आपको बोलने की आज़ादी देता है💙✍️🙏 jai bheem jai samvidhan namo budhay 💗🙏
Chadakya. Kalpanik kirdar hai bramno ne ese jabardasti smrat asok mahan ke sath joda hai abni wahawahi karwane ke liye Jai bheem Jai asok Jai bharat namo budhay 🇮🇳
अशोक एक महान सम्राट थे परंतु आप लोगो के दृष्टिकोण को देख के लगता है अशोक के पहले कुछ था ही नही। इतिहास की अपनी अपनी व्याख्या का अधिकार सभी को है परंतु किसी पर कीचड़ वही उछालते हैं जो खुद किसी काबिल नही होते।
देश में बेवकूफों की कमी नहीं, सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य इसलिए महान बने क्योंकि ब्राह्मण कोटल्य ने उस बालक की योग्यता को परखा और उसे सम्राट बनाया, उस समय योग्यता को प्रमुखता दी जाती थीं अतः सत्रीय कुल के चंद्रगुप्त मौर्य में योग्यता थी अतः वे सम्राट बने।
, सही बात बेवकूफ हो की कमी नहीं है चंद्रगुप्त महान थे अशोक तो अशोक तो महान थे ही नहीं यह तो चाणक्य चाणक्य नहीं होते तो इन सब का नाम तो निशान ही नहीं होता
सम्राट असोक या सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के समय ब्राह्मण नही थे। ब्राह्मण गलत प्रचार किया है। आज भी कर रहे है। जो जिता उसे सिकन्दर कहते। जबकि सच्चाई यह है कि सिकन्दर कभी जिता ही नहीं। जबकि यह होना चाहिए जो जिता उसे चन्द्रगुप्त मौर्य कहते है।
Samrat Ashok ne Buddha dharm ko raj dharm banaya.Jisame Varnabyastha ka koi sthan nahi tha.Brahman apni samajik shreshthata chahate the.Isliye Brahman Samrat Ashok se ghrina karte the.
Miss leading content on existence of Brahmins before the enterance of Sikander in india. Pushpamitra sung was the army commander of mauryan,s 10 emperor brihdrath Maurya .sung vansi were the people who were came with Sikander,s sister helana who was married to 1st emperor chandragupt maurya when he defeated to Sikander. Later this sung vans devoloped brahmin culture by destroying Buddhism.
दोस्तो,क्या हम लोग चक्रवर्ती राजा सम्राट अशोक को भूल गये है ?? बाबासाहेब ने तिरंगे पर अशोक चक्र लगाया और अशोकाविजया दशमी के दिन दिक्षा ली ।।। जिसका अशोकस्तंभ हमारे देश की राजमुद्रा है , जिस महान राजा ने सिर्फ भारत मे नही बल्कि पूरे दुनिया मे बुद्ध धम्म का प्रचार किया ऐसा राजा के बारे मे बाबासाहेब ने क्या कहा है कभी पढा है ???? पढ़िए । १)भारतीय इतिहास में केवल एक ही काल है जो स्वतंत्रता, महानता और गौरव का काल है। वह मौर्य साम्राज्य का काल है। सम्राट अशोक। अन्य सभी समयों में देश को पराजय और अंधकार का सामना करना पड़ा। लेकिन मौर्य काल एक ऐसा काल था जब जाति व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त हो गई थी - जब शूद्र, जो लोगों के द्रव्यमान का गठन करते थे, अपने आप में आ गए और देश के शासक बन गए। पराजय और अन्धकार का काल वह काल है जब जाति व्यवस्था फली-फूली, थी । डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर संदर्भ: पुस्तक एनिहिलेशन ऑफ कास्ट। २)क्या अशोक ने मिसाल कायम नहीं की? उसने कलिंगों के खिलाफ हिंसा का अभ्यास किया। लेकिन इसके बाद उन्होंने हिंसा को पूरी तरह से त्याग दिया। यदि हमारे आज के विजेता न केवल अपने पीड़ितों के शस्त्र का त्याग करते हैं बल्कि खुद भी शस्त्र का त्याग करते हैं तो पूरे विश्व में शांति होगी। डॉ.बी.आर.अम्बेडकर संदर्भ : पुस्तक का नाम : बुद्ध या कार्ल मार्क्स। ३)यह एक विकट समस्या है कि सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाला बौद्ध धर्म भारत से कैसे लुप्त हो गया। 274 ईसा पूर्व तक बौद्ध धर्म की स्थिति के बारे में हमें बताने के लिए बहुत कम सामग्री है। हालाँकि, यह देखा गया है कि अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म अपनी लोकप्रियता के चरम पर था। भारत में इस तरह के महान और लोकप्रिय धर्म की जमीन कैसे खो गई यह एक दर्दनाक घटना है। डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर सन्दर्भ: Volume No १७ पेज नंबर : ४०७ ४)सकारात्मक रूप से, मेरे सामाजिक दर्शन को तीन शब्दों में निहित कहा जा सकता है: स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व। हालांकि, कोई भी यह न कहे कि मैंने अपना दर्शन फ्रांसीसी-क्रांति से उधार लिया है। मैने ऐसा नहीं किया है। मेरे दर्शन की जड़ें धर्म में हैं न कि राजनीति विज्ञान में। मैंने उन्हें अपने गुरु, बुद्ध की शिक्षाओं से प्राप्त किया है। उनके दर्शन में स्वतंत्रता और समानता का स्थान था; लेकिन उन्होंने कहा कि असीमित स्वतंत्रता ने समानता को नष्ट कर दिया, और पूर्ण समानता ने स्वतंत्रता के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी। उनके दर्शन में, कानून का स्थान केवल स्वतंत्रता और समानता के उल्लंघनों के खिलाफ सुरक्षा के रूप में था; लेकिन उन्हें विश्वास नहीं था कि कानून स्वतंत्रता या समानता के उल्लंघन की गारंटी हो सकता है। उन्होंने स्वतंत्रता या समानता या बंधुत्व के खंडन के खिलाफ एकमात्र वास्तविक सुरक्षा के रूप में भाईचारे को सर्वोच्च स्थान दिया, जो भाईचारे या मानवता का दूसरा नाम था, जो फिर से धर्म का दूसरा नाम था।" -डॉ.बी.आर.अंबेडकर संदर्भ: खंड और भाषण संख्या .17 भाग 3 पृष्ठ संख्या 503. प्रमाण संख्या 3 ५)मेरी राय में इसका मुख्य कारण कुलदेवता (कुलदेव) की पूजा थी। भारत में ग्राम देवता और राष्ट्रीय देवता की तरह, कुल देवता भी थे जिनकी पूजा ब्राह्मणों द्वारा की जाती थी। इन देवताओं की पूजा के लिए जाने वाले पुजारियों ने रानियों के माध्यम से राज्य के मामलों को प्रभावित करना शुरू कर दिया। अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद इस प्रथा को बंद कर दिया और ऐसे देवताओं की मूर्तियों को हटा दिया। अशोक ने कहा, "चूंकि मैं बुद्ध, प्रबुद्ध व्यक्ति की वंदना करता हूं, इसलिए किसी अन्य देवता की पूजा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।" अशोक की इस कृति से ब्राम्हणो की उपजीविका का बहुत नुकसान हुआ ।इसीलिए ब्राम्हणो ने इस हार का बदला लेने का संकल्प लिया। डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर सन्दर्भ: Volume No १७ पेज नंबर :४०८ ६)अब यह पर्याप्त रूप से ज्ञात है कि अंतिम मौर्य सम्राट, सम्राट अशोक के वंशज, पुष्य मित्र नाम के ब्राह्मण कमांडर-इन-चीफ द्वारा हत्या कर दी गई थी, जिसने सिंहासन को हड़प लिया और ब्राह्मणवाद को एक राज्य धर्म के रूप में स्थापित किया। इससे भारत में बौद्ध धर्म का दमन हुआ जो इसके पतन के कारणों में से एक है। डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर सन्दर्भ Volume No।१७ पेज नंबर :५१० ७)बौद्ध काल के बाद और विशेष रूप से अशोक के काल में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। गो-हत्या या तो स्वेच्छा से छोड़ दी गई थी या राज्य द्वारा बंद कर दी गई थी। परिणाम यह हुआ कि तीव्र अन्तर उत्पन्न हो गया। गाँवों ने गोमांस खाना बंद कर दिया डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर Volume No १७ पेज नंबर :१४७
८)मौर्यों ने अपनी विजयों से मगध के इस साम्राज्य की सीमाओं का बहुत विस्तार किया जो उन्हें विरासत में मिला था। अशोक के अधीन इस साम्राज्य का विकास इतना विशाल हो गया कि इस साम्राज्य को दूसरे नाम से जाना जाने लगा। इसे मौर्य साम्राज्य या अशोक का साम्राज्य कहा जाता था। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर संदर्भ Volume ३ पेज नंबर 268 ९)यह तब प्रचलन में कई विविध धर्मों में से एक के रूप में नहीं रहा। अशोक ने इसे राज्य का धर्म बना दिया। निश्चय ही यह ब्राह्मणवाद के लिए सबसे बड़ा आघात था। ब्राह्मणों ने सभी राज्य का हिस्सा खो दिया और वे अशोक के साम्राज्य में एक माध्यमिक और सहायक स्थिति के लिए उपेक्षित थे। वास्तव में यह कहा जा सकता है कि अशोक ने सभी पशु बलि पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो ब्राह्मण धर्म का सार था। ब्राह्मणों ने न केवल राज्य का हिस्सा खो दिया था, बल्कि उन्होंने अपना व्यवसाय भी खो दिया था, जिसमें मुख्य रूप से शुल्क के लिए यज्ञ करना शामिल था, जो अक्सर बहुत अधिक होता था और जो उनके जीवन का मुख्य स्रोत था। इसलिए मौर्य साम्राज्य के दौरान ब्राह्मण लगभग 140 वर्षों तक दमित और पिछड़े वर्गों के रूप में रहे, । पीड़ित ब्राह्मणों के लिए बौद्ध राज्य के खिलाफ विद्रोह ही बचने का एकमात्र रास्ता बचा था और विशेष कारण है कि पुष्यमित्र को मौर्य शासन के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाना पड़ा। पुष्यमित्र शुंग गोत्र थे। शुंग सामवेदी ब्राह्मण थे, जो पशुबलि और सोमबलि में विश्वास करते थे। इसलिए मौर्य साम्राज्य में पूरे मौर्य साम्राज्य में जानवरों की बलि पर लगे प्रतिबंध के तहत शुंग काफी स्वाभाविक रूप से चतुर थे, जिसकी घोषणा अशोक द्वारा बहुत ही शिलालेख में की गई थी। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर संदर्भ: Volume ३ पेज नंबर 268 १०)यह नहीं कहा जा सकता है कि बाद के समय में शूद्र राजा नहीं थे। इसके विपरीत इतिहास बताता है कि मनु से पहले के दो राजवंश शूद्र राजाओं के वंश थे। नंदों ने ईसा पूर्व 413 से ईसा पूर्व 322 तक शासन किया। वो भी शूद्र थे। मौर्य जिन्होंने 322 बीसी से 183 बीसी* तक शासन किया, वे भी शूद्र थे। शूद्रों के उच्च सम्मान को दर्शाने के लिए अशोक के मामले की तुलना में इससे अधिक स्पष्ट प्रमाण और क्या हो सकता है, जो न केवल भारत के सम्राट थे, बल्कि एक शूद्र थे और उसका साम्राज्य शूद्रों द्वारा निर्मित साम्राज्य था। डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर संदर्भ Volume ३ पेज नंबर 423 ( संदर्भ मे दिये गये Volume English के है ) नमो बुद्धाय, जय सम्राट अशोक, जय भीम साथियो 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
मै कोई ब्राहमण नहीं हूं, मगर कुछ वास्तविकता बताना चाहता हूं। कुछ लोग जातिवाद कि वजह से इतिहास के पन्नों से गायब हो गए और कुछ लोग इतिहास बन गए। पृथ्वीराज चौहान को सब याद करते हैं,,, मगर उनको 2 बार हारनेवाले आल्हा ऊदल को कोई जानता तक नहीं (बुंदेल खंड के लोगो के सिवा)। दूसरी बात अशोक कि.... सबसे ज्यादा हिंदुओ का संहार दो ही बार हुआ है,,, 1 महाभारत में कौरव पांडव और 2 अशोक ने किया, कलिंग जैसे महान नगर को और उसकी संस्कृति का विनाश किया,,,अशोक ने 2 लाख कि सेना लेकर कलिंग पे आक्रमण किया, कलिंग की सेना सिर्फ 30 हजार जितनी ही थी बाद में जनता भी शामिल हो गई,,ऐसे 50,000 जितनी सेना एक जूट हो पाई थी। उस लडाई में 150000 से अधिक लोग मारे गए,,,कलिंग लड़ाई में हार गया,,, मगर वास्तव मे जीत उसीकी मानी जाती है। अशोक को महान धर्माधिकारी बौद्ध धर्म के लोगों ने और उसके चमचो और चाटुकारों ने बनाया है।
Samrat Ashok Koli nahi Moriy tha.khodas mahajanpad kal me piplivan ke Moriy ka ullekh millata.Kapilbastu ke shakya Kushinara ke Mall yah sab unke rishte me the.Koli koi rajbansh nahi milata.Koliy rajbansh milta hai.
Ashok अशोक ye naam brahman padhwa raha hai inhone apna naam likhwaya hai Asok असोक ye naam sila lekh me likha huwa milta hai .. aap Brahman ka naam hi dho raha hai naam bigad diye apna samrat ka .. jaago mauriya ji
Brhman videshi hai DNA ke anusaar science ne sabith kar diya hai SC St OBC vjnt Maratha jaat gujar Kshatriya muslim Sikh hum sub mulnivasi hai videshi brhmno ka DNA hai R1A1 mulnivasi ka DNA hai L3MN chankya kalpanik hai Bharat buddha ki bhumi hai
aapki sari jankari sahi nhi h. Ashok ke time koi Hindu dharm nhi tha Hindu to Farsi bhasha ka word h. Jo Mugàlo se aaya h. Budh hi Bharat ka sbse prachin dharm h or duniya ka bhi.
Apko koi bhartiya purtatva shakchhiya mila hai kiya Jo ye bol rahe ho shidha kare adha adhura giyaan na de atiyadhik gahrai se janne ke liye science jurny aur rational world authentic you tube chainal me aaye debate karle vo bhi bhartiya purtatva shakchhiya sahit prachin Bharat me vanshavaad vayvashtha thi jishaka bhartiya purtatva shakchhiya milta hai jai bharat namo jai bheem
दोस्तो,क्या हम लोग चक्रवर्ती राजा सम्राट अशोक को भूल गये है ?? बाबासाहेब ने तिरंगे पर अशोक चक्र लगाया और अशोकाविजया दशमी के दिन दिक्षा ली ।।। जिसका अशोकस्तंभ हमारे देश की राजमुद्रा है , जिस महान राजा ने सिर्फ भारत मे नही बल्कि पूरे दुनिया मे बुद्ध धम्म का प्रचार किया ऐसा राजा के बारे मे बाबासाहेब ने क्या कहा है कभी पढा है ???? पढ़िए । १)भारतीय इतिहास में केवल एक ही काल है जो स्वतंत्रता, महानता और गौरव का काल है। वह मौर्य साम्राज्य का काल है। सम्राट अशोक। अन्य सभी समयों में देश को पराजय और अंधकार का सामना करना पड़ा। लेकिन मौर्य काल एक ऐसा काल था जब जाति व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त हो गई थी - जब शूद्र, जो लोगों के द्रव्यमान का गठन करते थे, अपने आप में आ गए और देश के शासक बन गए। पराजय और अन्धकार का काल वह काल है जब जाति व्यवस्था फली-फूली, थी । डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर संदर्भ: पुस्तक एनिहिलेशन ऑफ कास्ट। २)क्या अशोक ने मिसाल कायम नहीं की? उसने कलिंगों के खिलाफ हिंसा का अभ्यास किया। लेकिन इसके बाद उन्होंने हिंसा को पूरी तरह से त्याग दिया। यदि हमारे आज के विजेता न केवल अपने पीड़ितों के शस्त्र का त्याग करते हैं बल्कि खुद भी शस्त्र का त्याग करते हैं तो पूरे विश्व में शांति होगी। डॉ.बी.आर.अम्बेडकर संदर्भ : पुस्तक का नाम : बुद्ध या कार्ल मार्क्स। ३)यह एक विकट समस्या है कि सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाला बौद्ध धर्म भारत से कैसे लुप्त हो गया। 274 ईसा पूर्व तक बौद्ध धर्म की स्थिति के बारे में हमें बताने के लिए बहुत कम सामग्री है। हालाँकि, यह देखा गया है कि अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म अपनी लोकप्रियता के चरम पर था। भारत में इस तरह के महान और लोकप्रिय धर्म की जमीन कैसे खो गई यह एक दर्दनाक घटना है। डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर सन्दर्भ: Volume No १७ पेज नंबर : ४०७ ४)सकारात्मक रूप से, मेरे सामाजिक दर्शन को तीन शब्दों में निहित कहा जा सकता है: स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व। हालांकि, कोई भी यह न कहे कि मैंने अपना दर्शन फ्रांसीसी-क्रांति से उधार लिया है। मैने ऐसा नहीं किया है। मेरे दर्शन की जड़ें धर्म में हैं न कि राजनीति विज्ञान में। मैंने उन्हें अपने गुरु, बुद्ध की शिक्षाओं से प्राप्त किया है। उनके दर्शन में स्वतंत्रता और समानता का स्थान था; लेकिन उन्होंने कहा कि असीमित स्वतंत्रता ने समानता को नष्ट कर दिया, और पूर्ण समानता ने स्वतंत्रता के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी। उनके दर्शन में, कानून का स्थान केवल स्वतंत्रता और समानता के उल्लंघनों के खिलाफ सुरक्षा के रूप में था; लेकिन उन्हें विश्वास नहीं था कि कानून स्वतंत्रता या समानता के उल्लंघन की गारंटी हो सकता है। उन्होंने स्वतंत्रता या समानता या बंधुत्व के खंडन के खिलाफ एकमात्र वास्तविक सुरक्षा के रूप में भाईचारे को सर्वोच्च स्थान दिया, जो भाईचारे या मानवता का दूसरा नाम था, जो फिर से धर्म का दूसरा नाम था।" -डॉ.बी.आर.अंबेडकर संदर्भ: खंड और भाषण संख्या .17 भाग 3 पृष्ठ संख्या 503. प्रमाण संख्या 3 ५)मेरी राय में इसका मुख्य कारण कुलदेवता (कुलदेव) की पूजा थी। भारत में ग्राम देवता और राष्ट्रीय देवता की तरह, कुल देवता भी थे जिनकी पूजा ब्राह्मणों द्वारा की जाती थी। इन देवताओं की पूजा के लिए जाने वाले पुजारियों ने रानियों के माध्यम से राज्य के मामलों को प्रभावित करना शुरू कर दिया। अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद इस प्रथा को बंद कर दिया और ऐसे देवताओं की मूर्तियों को हटा दिया। अशोक ने कहा, "चूंकि मैं बुद्ध, प्रबुद्ध व्यक्ति की वंदना करता हूं, इसलिए किसी अन्य देवता की पूजा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।" अशोक की इस कृति से ब्राम्हणो की उपजीविका का बहुत नुकसान हुआ ।इसीलिए ब्राम्हणो ने इस हार का बदला लेने का संकल्प लिया। डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर सन्दर्भ: Volume No १७ पेज नंबर :४०८ ६)अब यह पर्याप्त रूप से ज्ञात है कि अंतिम मौर्य सम्राट, सम्राट अशोक के वंशज, पुष्य मित्र नाम के ब्राह्मण कमांडर-इन-चीफ द्वारा हत्या कर दी गई थी, जिसने सिंहासन को हड़प लिया और ब्राह्मणवाद को एक राज्य धर्म के रूप में स्थापित किया। इससे भारत में बौद्ध धर्म का दमन हुआ जो इसके पतन के कारणों में से एक है। डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर सन्दर्भ Volume No।१७ पेज नंबर :५१० ७)बौद्ध काल के बाद और विशेष रूप से अशोक के काल में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। गो-हत्या या तो स्वेच्छा से छोड़ दी गई थी या राज्य द्वारा बंद कर दी गई थी। परिणाम यह हुआ कि तीव्र अन्तर उत्पन्न हो गया। गाँवों ने गोमांस खाना बंद कर दिया डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर Volume No १७ पेज नंबर :१४७
८)मौर्यों ने अपनी विजयों से मगध के इस साम्राज्य की सीमाओं का बहुत विस्तार किया जो उन्हें विरासत में मिला था। अशोक के अधीन इस साम्राज्य का विकास इतना विशाल हो गया कि इस साम्राज्य को दूसरे नाम से जाना जाने लगा। इसे मौर्य साम्राज्य या अशोक का साम्राज्य कहा जाता था। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर संदर्भ Volume ३ पेज नंबर 268 ९)यह तब प्रचलन में कई विविध धर्मों में से एक के रूप में नहीं रहा। अशोक ने इसे राज्य का धर्म बना दिया। निश्चय ही यह ब्राह्मणवाद के लिए सबसे बड़ा आघात था। ब्राह्मणों ने सभी राज्य का हिस्सा खो दिया और वे अशोक के साम्राज्य में एक माध्यमिक और सहायक स्थिति के लिए उपेक्षित थे। वास्तव में यह कहा जा सकता है कि अशोक ने सभी पशु बलि पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो ब्राह्मण धर्म का सार था। ब्राह्मणों ने न केवल राज्य का हिस्सा खो दिया था, बल्कि उन्होंने अपना व्यवसाय भी खो दिया था, जिसमें मुख्य रूप से शुल्क के लिए यज्ञ करना शामिल था, जो अक्सर बहुत अधिक होता था और जो उनके जीवन का मुख्य स्रोत था। इसलिए मौर्य साम्राज्य के दौरान ब्राह्मण लगभग 140 वर्षों तक दमित और पिछड़े वर्गों के रूप में रहे, । पीड़ित ब्राह्मणों के लिए बौद्ध राज्य के खिलाफ विद्रोह ही बचने का एकमात्र रास्ता बचा था और विशेष कारण है कि पुष्यमित्र को मौर्य शासन के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाना पड़ा। पुष्यमित्र शुंग गोत्र थे। शुंग सामवेदी ब्राह्मण थे, जो पशुबलि और सोमबलि में विश्वास करते थे। इसलिए मौर्य साम्राज्य में पूरे मौर्य साम्राज्य में जानवरों की बलि पर लगे प्रतिबंध के तहत शुंग काफी स्वाभाविक रूप से चतुर थे, जिसकी घोषणा अशोक द्वारा बहुत ही शिलालेख में की गई थी। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर संदर्भ: Volume ३ पेज नंबर 268 १०)यह नहीं कहा जा सकता है कि बाद के समय में शूद्र राजा नहीं थे। इसके विपरीत इतिहास बताता है कि मनु से पहले के दो राजवंश शूद्र राजाओं के वंश थे। नंदों ने ईसा पूर्व 413 से ईसा पूर्व 322 तक शासन किया। वो भी शूद्र थे। मौर्य जिन्होंने 322 बीसी से 183 बीसी* तक शासन किया, वे भी शूद्र थे। शूद्रों के उच्च सम्मान को दर्शाने के लिए अशोक के मामले की तुलना में इससे अधिक स्पष्ट प्रमाण और क्या हो सकता है, जो न केवल भारत के सम्राट थे, बल्कि एक शूद्र थे और उसका साम्राज्य शूद्रों द्वारा निर्मित साम्राज्य था। डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर संदर्भ Volume ३ पेज नंबर 423 ( संदर्भ मे दिये गये Volume English के है ) नमो बुद्धाय, जय सम्राट अशोक, जय भीम साथियो 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
चाणक्य नाम से कोई भी व्यक्ति इतिहास में नही मिला मेगास्थनीज ने अपने सम्पूर्ण वर्णन कहीं भी इस फर्जी चाणक्य नाम का उल्लेख नहीं किया है.. ये सब झूठ फैलाया जा रहा है शुरु से क्युकी किताबे छापने वाले ब्राह्मण ही है वो अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करना चाहते हैं
Megasthaij dushman desh yunan kaitihaskar tha aur dushman kabhi apane pratidwandi ki prashasa kar sakta hai kya.jiske karan unhe har ka samna karna para ho.
Mahan Ashok Ashok mane jisae shok na ho. Ye galat kaha ja raha hai.dhikhao kaha kiya.Baba saheb ko galat tarah sae bata rahe ho.Ashok ko kabhi bhi badanam nahi kiya kyo ki bodh dharm apanane sae pahale Hindu hi the. Ye propaganda kyo.japan bodh the to Naga shaki par parmadu hamala vo bhi ianta par kyo hua.Mayamar bodh the to fir unhone kisae bhagaya brahaman itna shaktishali nahi tha jaisa bataya ja raha hai.Kya pop sae jyada Takata brahaman kae pas thi kya Molviyo sae jyada Takata brahmano kai pas thi.braham ya to padate the ya katha karte the ya vaidaya the. Koi koi Raja kae purohit ya Mantri the .
Brihdrath Maurya ki hatya unke Buddhist hone ke karan ki thi.Buddha dharm samanata ka dharma tha.Pushyamitra use apne samajik samman ko khatara manta tha.Samrat Harshvardhan ki bhi hatya ek Brahman ne Buddh bhikshu banakar ki thi.Kyoki wah bhi Buddhist the.Koi apne phayade me badha ko kyo nahi hatayega.
Brahman apna samaj par prabhutva chahate hai.Buddha dharma ek kshatriya dwara chalaya dharm tha tatha samajik Samanta par adharit tha.Kshatriya log shasak the.Unhe Brahmano ka aham pasand nahi tha.Samrat Brihdrath Maurya ki ek bhool thi ki unhe Brahman ko senapati nahi banana chahiye tha.Pushya Mitra ke man me kapat tha.Isliye Samrat ki hatya ho gayi.Brahmano ke upar bishwas nahi karna chahiye yahi seekh Pushhya Mitra ne diya hai.
नफरत फैलाने से बाज आयें,आप लोग कुंठाग्रस्त हैं, बाकई आप किसी ब्राह्मण के पैरों की धूल के बराबर भी नही हैं, धिक्कार है ! आपकी इस पाखंडपूर्ण कुटिल पोस्ट पर हम थूंकते हैं! छि:
Moorkh videsiyo hmare hi bharat me ghus aye tum niskasit log .hmse hi sarad lekar hmse hi gddari ki .hmara dharam sanatan ko chura lia .apna brahmadbad thop diya . Are chanakya farji character use baad me daal diya .hm bahi morya hai jisne smst vishw pr sasan kiya .visw vijeta hai hm. Jai moryavansh😅😅😅
आप पहले असोक का सही इतिहास पढें।फिर विडियो बनावें।असोक ने कौन से शिला लेख में ब्राह्मण और संस्कृत के बारे में लिखवाया। असोक का वास्तविक इतिहास केवल उनका शिला लेख है।वाकि सब फेक है।1915से पहले तो असोक के बारे लोगों पता ही नहीं था।उसके बाद तरह तरह की कहानियां गढ़ी गई।उसी को आप बता रहे हैं।
जब सबसे महान की बात करोगे तो फिर विरोध होगा ही । अशोक महान थे #किन्तु सबसे नहीं । कलयुग में इस धरती पर यदि सबसे महान, परमसाहसी, परमप्रतापी, महादानी, परोपकारी सम्राट की बात होगी तब वीर विराट #विश्वविजेता सम्राट #महाराजाधिराज #विक्रमादित्य का नाम शीर्ष पर होगा ।