बारम्बार प्रणाम और साधुवाद परम आदरणीय श्रद्धेय एस एन गोयनका जी भारत की प्राचीन अनमोल धरोहर को भारत में पुनर्स्थापित कर भारत के लोगों का बहुत कल्याण किया है|इतिहास इस पुनीत कार्य को हमेशा याद रखेगा| पुनः साधुवाद और नमन
५ व्यसन १)अपने किसी प्रिय का गुजर जाना। २) धन, दौलत, चोरी, आग लगना, बाढ़, से होने वाला नुकसान इत्यादि ३) शारीरिक रोग ४) ऐसी किसी परिस्थिति में फस जाना,जहा जो नहीं करना था वो कर बैठना ५) धर्म को नहीं समझना। सभी स्थितियों में समता में रहना - सदैव ताठस्थ और सदैव जागरूक जन्म जन्म के दुक्खो से मुक्ति पाने का मार्ग है विपस्सना।🙏🏻🙏🏻🙏🏻 साधु साधु साधु।
Very nice speech ,gives way to freedom from misery.simply by becoming equanimous to sensation of body weather painful or pleasant sensation always by remaining equanimous.