वनस्थ योगी श्री ६ श्री गुरु श्री शिवदत्त स्मारक गड्डी, जोधपुर
पं राजेन्द्र कुमार व्यास “पालजी”
Pt. Rajendra Kumar Vyas “Palji”
9414849604
संपुटित हनुमान चालीसा
सभी कष्टों और पीड़ा से मुक्ति हेतु
सम्पुट :-
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
सियावर रामचंद्र भगवान् की जय ।
उमापति महादेव की जय ।
पवनसुत हनुमान की जय ।
बोलो रे भाई सब संतन की जय ।
॥ संपुटित हनुमान चालीसा ॥
दोहा :-
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार ।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥
चौपाई :-
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनिपुत्र पवनसुत नामा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुंडल कुंचित केसा ॥
संकट
संकट
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै । काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥
संकट
संकट
संकर सुवन केसरीनंदन । तेज प्रताप महा जग बंदन ॥
संकट
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥
संकट
संकट
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥
संकट
संकट
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
संकट
संकट
भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचंद्र के काज सँवारे ॥
संकट
संकट
लाय सजीवन लखन जियाय । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥
संकट
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥
संकट
संकट
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥
संकट
संकट
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
संकट
संकट
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना । लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रच्छक काहू को डर ना ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
आपन तेज संहारो आपै । तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै । महाबीर जब नाम सुनावै ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट
नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट
संकट
संकट तें हनुमान छुड़ावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
संकट
संकट
सब पर राम तपस्वी राजा । तिन के काज सकल तुम साजा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
संकट
संकट
साधु संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥
संकट
संकट
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ॥
संकट
संकट
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
अंत काल रघुबर पुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥
संकट
संकट
और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेई सर्ब सुख करई ॥
संकट
संकट
संकट
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरु देव की नाईं ॥
संकट
संकट
जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
संकट
संकट
जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
संकट
संकट
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
दोहा :-
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥
सियावर रामचंद्र भज जय शरणं ।
रामा जय सिया राम जय जय सिया राम ।
जय सिया राम जय जय सिया राम ।
सियावर रामचंद्र भगवान् की जय ।
उमापति महादेव की जय । पवनसुत हनुमान की जय ।
बोलो रे भाई सब संतन की जय ।
16 июн 2024