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/ @kavitarkvyaspalji1334
॥ दिव्य हनुमान चालीसा॥
मुझे इस दिव्य हनुमान चालीसा का विडियो
बनाकर जन कल्याण हेतु यूट्यूब में अपलोड
करने का आदेश आदरणीय गुरुजी श्री प्रकाशजी
द्वारा दिया गया,उसकी अनुपालना कर सभी साधकों
की में प्रस्तुत है।
इस दिव्य हनुमान चालीसा के बारे में श्री प्रकाशजी
को ओड़ीसा के बौद्ध डिस्टिक में दह्या नामक एक
स्थान में एक संत मिले जिनका शुभ था नाम महेशजी।
उन संत ने बताया कि इस दिव्य हनुमान चालीसा का
अनंत गुण है केवल सुनने मात्र से ही व्यक्ति इसका लाभ
प्राप्त कर सकता है।
विस्तृत जानकारी हेतु कृपया आदरणीय श्री प्रकाशजी
के फेस बुक पेज जिसका लिंक नीचे दिया है
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का अवलोकन करें।
॥ अथ दिव्य हनुमान चालीसा॥
संकल्प :- आचमनी में जल चन्दन अक्षत लेकर -
ॐ अस्य श्री श्रीराम जय राम जय-जय राम,
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते मम कार्येषु
ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल असाध्यं साधय साधय
मम रक्ष रक्ष सर्व दुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा. तत् साकं
ॐ कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॐ इतिमंत्र संपुटित
हनुमत चालीसा स्तोत्र मंत्रस्य गोस्वामी तुलसीदास ऋषि:
अवधी संस्कृत भाषा च भगवान श्री राम दूत राम भक्त
महावीर हनुमान देवता । मम इष्ट मनोकामना पूर्ण अर्थे ,
सकल कार्य सिद्धि अर्थे च स्तवने वा पठने विनियोग:
(जल छोड़ें )
ध्यानम् :-
ॐ नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम्,
सीता समारोपित वामभागम् ।
पाणौ महासायक चारु चापम्,
नमामि रामं रघुवंश नाथम्॥
ॐ लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥
ॐ मनोजवं मारुततुल्यवेगं,जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
श्रीराम जय राम, जय-जय राम
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते मम कार्येषु
ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल असाध्यं साधय साधय
मम रक्ष रक्ष सर्व दुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा।
ॐ कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॐ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥
श्रीराम जय राम, जय-जय राम
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते मम कार्येषु
ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल असाध्यं साधय साधय
मम रक्ष रक्ष सर्व दुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा।
ॐ कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॐ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवनकुमार ।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥
श्रीराम जय राम, जय-जय राम
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते मम कार्येषु
ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल असाध्यं साधय साधय
मम रक्ष रक्ष सर्व दुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा।
ॐ कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॐ॥
श्रीराम जय राम, जय-जय राम
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते मम कार्येषु
ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल असाध्यं साधय साधय
मम रक्ष रक्ष सर्व दुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा।
ॐ कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॐ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
श्रीराम जय राम, जय-जय राम
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते मम कार्येषु
ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल असाध्यं साधय साधय
मम रक्ष रक्ष सर्व दुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा।
ॐ कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॐ॥
सम्पूर्ण पाठ यहाँ संभव नहीं है इसी प्रकार सम्पुट लगाकर इस दिव्या पाठ का आनंद लें
4 авг 2024