कल रात 9 :10 Z जागरण चैनल पर जगत गुरु तत्व -दर्शी संत रामपाल जी महाराज ने बताया की---- ब्रह्मा - विष्णु - शिवजी का बाप ज्योत निरंजन { काल } अंडे से जन्मा............आज रात को सुनिए श्रिष्टी की रचना किसने की ? हम सतलोक से इस काल के लोक में किस की गलती से आये ? ज्योत निरंजन { काल } की पत्नी कोण है ? ये सम्भोग की किर्या किसने शुरू की ? .....
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय । हीरा जन्म अमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥ हमेँ उस सन्त की खोज करनी चाहीये जो हमारे पाप कर्म को काट सके और जे सिर्फ पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब के क्रपा पात्र संत से नाम उपदेश लेने से हीँ संभव है। वर्तमान मेँ वो पूर्ण संत jagagtguru rampal ji maharaj है । जो कर्म डण्ड को काटने वाली सत साधना प्रदान कर रहे है ।
शुभ कर्मोंकी डोर बनाई, सत्संग जल से करी सिंचाई । गुरु ज्ञान की बाड लगाई, फल भगती का चाख लिया । । मुश्किल चढ़ना दसवे दर पे, बंदिछोड़ पहुंचादे सुन्न शिखर पे । वो हाथ आपणा धर दे सिर पे, जिसने मान गुरु को बाप लिया । । साहेब कबीर की शरण रहे, और हित चित सेवा भाव गहे । गुरु रामदेवानंदजी तो यूँ कहे, रामपाल मार भजन का हाथ लिया । ।
Naresh Chander Arya संत रामपाल जी महाराज ने पाखंडी गुरुओं की पोल खोल दी और संसार को सच्चा ज्ञान दिया है और अपने वास्तविक पिता की जानकारी सभी आत्माओं को दी है सद्गुरु को प्रणाम
गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताए ॥ सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद । कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ।।
पूर्ण ब्रह्म कबीर अविनाशी 🔅आदरणीय धर्मदास जी को परमात्मा सतलोक से आकर मथुरा में जिंदा महात्मा के रूप में मिले। जिसका प्रमाण उनकी ये वाणी देती है। "आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चल कर आए, काटन जम की जंजीर।।"
जिसने नाभि नासिका नाप लिया, उसने जान अजपा जाप लिया । टेक । सत्यनाम का जाप करे, फिर गगन मंडल में ज्योत जले । उसकी भगती बाड़ी खूब खिले, जिन डाल भजन का खाद लिया । । अललपंख जो ध्यान धरे, फिर कुंज कुरल गुणगान करे । वो ना मन में अभिमान करे, जिसने मार आपणा आप लिया । । विषयों से मुखड़ा मोड़ लिया, साहेब से नाता जोड़ लिया । उसने भ्रम भटकना फोड़ लिया, जिसने पूरे गुरु का साथ किया । ।
पूर्ण ब्रह्म कबीर अविनाशी 🔅हनुमान जी को भी मिले थे कबीर परमात्मा कबीर सागर के "हनुमान बोध" में परमेश्वर कबीर साहेब द्वारा हनुमान जी को शरण में लेने का विवरण है। परमेश्वर कबीर जी ने हनुमान जी को शरण में लेकर उनमें सत्य भक्ति बीज डाला ।
Guru Gobind dwy khere kake logo paye bali hari Guru aapeney Gobind deo batye Jagatgurru Tatvadarshi santrampal ji maharaj he supreme GOD KABIR SHAB h cherno may dandvath pram
पूर्ण ब्रह्म कबीर अविनाशी 🔅रामानंद जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब मिले। रामानंद जी को 104 वर्ष की आयु में सत्य ज्ञान समझाकर तथा सतलोक दिखाया। दोहूं ठौर है एक तू, भया एक से दोय। गरीबदास हम कारणैं उतरे हैं मघ जोय। बोलत रामानंद जी, सुन कबीर करतार। गरीबदास सब रूप में, तू ही बोलनहार।।
गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताए ॥ सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद । कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ।।
पूर्ण ब्रह्म कबीर अविनाशी 🔅त्रेता युग में कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से प्रकट हुए तथा नल व नील को शरण में लिया। उनकी कृपा से ही समुद्र पर पत्थर तैरे। धर्मदास जी की वाणी में इसका प्रमाण है, रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार। जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले। धन्य-धन्य सत कबीर भक्त की पीड़ मिटाने वाले।