ॐ
गीता भगवन तेरे वचनों पे चलकर,
हम आज अपनी मंज़िल पर आ गए है
तेरे जैसा रहबर जो जीवन में आया,
जीवन मुक्ति आनन्द को पा गये हैं।
है लाखों से बढ़ कर वचन ये तुम्हारे,
हीरे मोतियों से लगे हमको प्यारे
इस मन को तुम्हारे वचन भा गये हैं
हम आज अपनी मंज़िल पर आ गये है।।
तुम्हारी नज़र से मिली ऐसी शक्ति,
की आठों पहर हो रही अब तो भक्ति
बड़े भाग्य है जो ये दर पा गये है
हम आज अपनी मंज़िल पर आ गये है।।
जगत् की बातों ने बहुत था सताया,
मानो तपती लू में बदन झुलसाया
तेरी रहमतों के बादल छा गये है
हम आज अपनी मंज़िल पर आ गये है।।
तेरा शुक्रिया किस जुबाँ से मैं गाऊँ
सिवा आंसुओं के क्या भेंट चढ़ाऊँ
शमा बन के रोशन जहाँ कर दिया है
हम आज अपनी मंज़िल पर आ गये है।।
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16 апр 2024