ॐ
जाग रे मुसाफिर तू,
ख्वाब की दुनिया से,
होश क्यों गवयाँ है,
पल दो पल की खुशियों में |
दर्द दिल में तू जगा,
सच की राह पाने को,
साथ देंगे तुझको निराकार,
श्रद्धा है गर जो अपार ||
भ्रम के बंधनों से,
खुद को तूने जकड़ा है,
दासता कुछ भी नहीं,
तू तो शुद्ध आतम है ||
देख जरा नजरें उठा,
नूर सबमें है किसका,
मूरत पे नजर ना टिका,
हस्ती पे तू ध्यान लगा ||
कर्मकाण्ड भूल के सभी,
कर्ता रोग छोड़ दे अभी,
जीवन मुक्ति आनन्द का,
सच्चा जलवा ले ले अभी ||
हर कदम पे सोच विचार,
आता है क्यूँ मन में अहंकार,
मैं-मैं की इस रट को बिसार,
बेड़ा होगा तभी तेरा पार ||
सच के मोती हैं बेमिसाल,
दिल की झोली फैला दे विशाल,
तन मन में लगन तू लगा,
सच की ज्योति दिल में जगा ||
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22 окт 2024