ॐ
जो सच को पाना चाहे वो गुरू चरणों में आए,
जो श्रद्धा से नहीं आए उसे कौन समझाए,
जो अमृत पीना चाहे वो बर्तन ख़ाली लाए,
जो पीने से मुख मोड़े उसे कौन पिलाए।
दुनिया मतलब का घर है ये बन्दे को भी खबर है,
संसार दुःखों की जड़ है ये उसको भी तो खबर है,
जो उसमें असंग है रहते वो मंज़िल को हैं पाते,
जो ख़ुद को दुनिया में फँसाये उसे कौन छुड़ाये॥
माना विषयों के आगे नहीं चलता ज़ोर किसी का,
उनको पाने में ही इन्सान है सब कुछ खो देता,
जो विषयों से खुद को बचाये वो मन से जीत हैं पाते,
जो खुद को धोखे में रखे उसे कौन समझाए॥
ये जीवन है इक नैया प्रभु माँझी है खिवैया,
जड़ में चाहे चेतन में रहता है वो ही रमैया,
जो अंतर्मुख हैं होते वो ही दीदार हैं करते,
जो बाहर मुख हैं होते वो जन्म हैं खोते,
जो सच को पाना चाहे वो गुरू चरणों में आए,
जो श्रध्दा से नहीं आए उसे कौन समझाए ॥
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6 авг 2024