ॐ
राम तजूं मैं गुरू को ना बिसारूं,
गुरू के सम हरि को ना निहारूं ।
हरि ने जन्म दियो जग माहीं,
गुरू ने आवागमन चुरायी
हरि ने पाँच चोर दिया साथा,
गुरू ने लिया चुरायो नाता ॥
हरि ने रोग भोग उलझायो,
गुरू योगेश्वर सब ही चुरायो
हरि ने कर्म धरम भरमाया,
गुरु ने आतम रूप लखाया ॥
हरि ने जानबूझ माया में घेरा,
गुरू ने काटी ममता मेरी
हरि ने मोको आप छिपायो,
गुरू ने प्रगट कर दिखलायो ॥
----------------------------------
22 апр 2024