ॐ
गुरू सिमरन में जो मन डूबा,
उसका क्या कहना,
जो गुरू बिन देखे नहीं दूजा,
धन्य है वो नैना।
जो ह्रदय में गुरू ना बसाये,
वो मन कैसे धीरज पाए,
पग पग पर वो ठोकर खाये।
अन्दर बाहर से एक हो जा,
गुरू सिमरन में ऐसा खो जा,
जन्म जन्म की मैल को धो जा॥
जिन आँखों में गुरू है समाया,
वो अखियाँ ना देखे पराया,
हमको गुरू ने ये समझाया॥
हीरा जन्म को हम ना हारे,
पल पल तेरा नाम चिताये,
सतगुरू को एक पल ना बिसरे,
उसका क्या कहना,
गुरू सिमरन में जो मन डूबा,
उसका क्या कहना॥
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25 апр 2024