ॐ
सतगुरू की मोहब्बत ने हमको ये सिखाया है,
जीने का मज़ा सचमुच प्रेमी ने ही पाया है।
दुनिया की निगाहों में चाहे वो दीवाना है,
लेकिन प्रभु प्यारे का प्यारा मस्ताना है,
अपने प्रभु को पाकर दुनिया को भुलाया है।।
दुनिया के वो धोखे में हरगिज़ नहीं फँसता है,
दुनिया उस पर हँसती, वो दुनिया पर हँसता,
सयानों में वो सयाना है, चाहे होश गँवाना है।।
अंधा गूँगा बहरा सब प्रेमी को कहते,
मस्त अपने ही आनन्द में प्रेमी वो सदा रहते,
नयनों में गुरू का ही वो रूप समाया है।।
ए दास जो करना हो कर प्रेम का ही सौदा,
क्या अक़्ल के चक्कर में चतुराई में क्या रखा,
मत गफ़लत में पड़ तू , सतगुरू ने जगाया है ।।
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21 апр 2024