“प्रेरकः सूचकश्वैव वाचको दर्शकस्तथा ।
शिक्षको बोधकश्चैव षडेते गुरवः स्मृताः ।।‘‘
प्रेरणा देनेवाले, सूचन देनेवाले, सच बतानेवाले, रास्ता दिखानेवाले, शिक्षा देनेवाले, और बोध करानेवाले । ये सब गुरु ही हैं । वास्तव में गुरू प्रेरक, सूचनातदाता, सत्यवाचक, पथप्रदर्शक, शिक्षक और बोध कराने वालों का समुच्चय है । जैसे स्वर्ण धातु का एक रज भी स्वर्ण होता है उसी प्रकार इन छः गुणों में से एक भी गुण होने पर भी वह गुरू ही है । इन सभी रूपों में गुरू अपने शिष्य को अंधेरे से प्रकाश की ओर अभिप्रेरित करता है ।
4 сен 2023