भारत के ७५वें गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ इस ग़ज़ल के साथ-
۷۵ مین روز جمهوری هندستان بر همه ما مبارک باشد -
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شاعران هند-دوستان ایران -۶
शायराने हिन्द-दोस्ताने ईरान -६
India in the Eyes of Iranian Poets -6
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دو سرزمین کهن
दो सरज़मीने कुहन - (हिन्द ओ ईरान)
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نغمه مستشار نظامی
नग़्मा मुस्तशार निज़ामी
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دو سرزمین کهن هر دو گنج خیز و زر افشاندو خاستگاه ادب، مهد علم، خاک دلیران
[दो सरज़मीने कुहन हर दो गंज-खीज़ ओ ज़र-अफ़शान
दो ख़ास्तगाहे अदब, महदे इल्म, ख़ाके दिलीरान]
दो पुरानी सरज़मीनें
दोनों ही ख़ज़ाने पैदा करने वाली और सोना बरसाने वाली
दोनों से महान् सभ्यताएँ उदित हुई हैं, दोनों ज्ञान का पालना हैं,
दोनों महावीरों की जन्मस्थली हैं!
دو میهن گل و شعر و شعور و صندل و میخکدو زادگاه تمدن؛ دو جان روشن عرفان
[दो मीहने गुल ओ शेर ओ शऊर ओ संदल ओ मीख़क
दो ज़ादगाहे तमद्दुन; दो जाने रौशने इरफ़ान ]
दो देश- शेर के, शऊर के, चंदन के, लवंग के
संस्कृतियों की दो जन्मभूमियाँ
अध्यात्म की प्रदीप्त आत्माएँ, दो देश!
دو نور شرق، دو چشم و چراغ مردم عاشقدو همکلام، دو همصحبت هماره غزل خوان
[दो नूरे शर्क़, दो चश्म ओ चराग़े मर्दुमे आशिक़
दो हम कलाम, दो हम-सोहबते हमारे ग़ज़ल-ख़ान]
पूरब के दो नूर
आशिक़ों के दो चश्मो चराग़
दो संवादी संस्कृतियाँ, हमेशा काव्य-गान करने वाले दो देश
زبان پارسی و شعر چون سفیر بهارانرسانده اند سلامی ز هند تا دل ایران
[ज़बाने पारसी ओ शेर चून सफ़ीरे बहारान
रसान्दे अन्द सलामी ज़े हिन्द ता दिले ईरान]
फ़ारसी भाषा और कविता ने
बहारों के दूत की तरह
भारत से ईरान के दिलों तक शांति का संदेश पहुँचाया है
سلام مااست به آن مردم صبور و صمیمیسلام مااست به دلهای پاک، از دل و از جان
सलामे मा-स्त बे आन मर्दुमे सबूर ओ समीमी]
[सलामे मा-स्त बे दिल-हा ए पाक, अज़ दिल ओ अज़ जान
दिलो जान से सलाम है हमारा
भारत के सहृदय और धीरज वाले लोगों पर
उनके पवित्र हृदयों पर सलाम है हमारा!
سلام بر غزل قدسی و رباعی بیدلسلام ما به کماله، سلام ما به علیخان
[सलाम बर ग़ज़ले क़ुदसी ओ रुबाई ए बेदिल
सलामे मा बे कमाला, सलामे मा बे अली ख़ान]
क़ुद्सी मशहदी की ग़ज़लों पर सलाम
बेदिल की रुबाइयों पर सलाम हो,
कमला पर हमारा सलाम हो और
ख़ाने आरज़ू पर सलाम हो!
سلام بر سخن نازک و خیال مصورکه ثبت کرده به دفتر هزار بیت درخشان
[सलाम बर सुख़ने नाज़ुक ओ ख़याले मुसव्वर
कि सब्त कर्दे बे दफ़्तर हज़ार बैते दरख़्शान]
भारतीय कविताओं की नाज़ुक बयानी और
तस्वीरी ख़यालात पर सलाम
काव्य-संग्रहों के हज़ारों शे,र जिनसे जगमगा रहे हैं
به یمن یکدلی شاعران پارس به پا شدبساط شعر و ترانه به زیر سایه باران
[बे युम्ने यक-दिली ए शाइराने पार्स ब-पा शुद
बिसाते शेर ओ तराने बे ज़ीरे साये ए बारान]
फ़ारसी शायरों की हमदिली की बदौलत
बारिशों के साये तले
कविता और गानों की बिसात बिछ गई है!
هزار شکر که آوازهای "صبح بنارس"رسانده "شام اود"را به صبح روشن تهران
[हज़ार शुक्र कि आवाज़-हा ए “सुब्हे बनारस”
रसान्दे “शामे अवध” रा बे सुब्हे रौशने तेहरान]
हज़ार शुक्र है कि
सुब्हे बनारस के मधुर गीतों ने
शामे अवध को
तेहरान की उजली भोर तक पहुँच दिया है!
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شاعر این شعر -
نغمه مستشارنظامی
شاعر، مترجم و پژوهشگر
دارای دکترای اقیانوس شناسی
و مدرک درجه یک هنری در رشته شعر
عضو شورای شعر وزارت فرهنگ و ارشاد
مولف ۱۵ کتاب شعر
नग़्मा मुस्तशार निज़ामी समुद्र विज्ञान में डॉक्टरेट हैं। उनके १५ कविता संग्रह प्रकाशित हैं।
4 окт 2024