जिना 55 लोगो ने डिस लाईक किया है इतनी जानकारी आपको 93 साल का व्यक्ती आपके बाप दादा समान है. समझो सफल हो जाओगे नहीं तो फिर इधर ही आशा है किडे मकोडो की तरह जिवन तीने के लिये. मुफ्त के ज्ञान की किंमत नहीं है.
आजके कालमे ऐसे गुरुजी है जो समाज को सनातन धर्म तथा संस्कृती के बारेमे इतना सुंदर विवेचन करते है।आज हम ऐसें महानुभाव के ऋणी है।ऐसें विचार तथा शिक्षा समाज तक पहुँचानेका कार्य अलौकीक है।धन्यवाद। गुरूवर्य जी को सादर प्रणाम !💐
गुरुजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो जैसे गुरु ही हमारी हिंदू संस्कृति को आगे बढा रहे हैं परामात्मा आपको सदैव खुश रखे तथा आपको दिर्घायु प्रदान करे, हरी ओम,.
I can not explain how lucky am I receiving all this true values and information of my own dharma and Sanatani sabhyata basics. Thanks bhai and thanks a ton guru ji. Charan vandana 🙏
I belong to gen z generation. Kaash humare paas aap jaise guru ji hote ...kitni saral bhasha mai aapne samjha diya Guru ji ...koti koti pranam ...kitne bhagyashaali honge woh log jo aapse milte honge ...kaash aisa koi avsar mujhe bhi prapt ho
अंकल जी जिस तन्मयता के साथ सुन रहे हैं, ये ही भाव होते हैं जो वक्ता को बोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं... जिनके कारण ही इस प्रकार का ज्ञान हम तक पहुँच पाता है..
Dear Sir, I'm totally blown away with your simple yet very important and sophisticated questions and Dr. Sinha Ji's easy to understand answers, make this a very valuable channel for us, the followers of Sanathan Dharma. In this video Dr. Saheb mentions 3 Rindh (obligations) toward Parents/Guru/Rishi's. So, how/what do I have to do (Prayers/Donations/Service) to repay my obligations towards Parents/Guru/Rishi's. Could you please have Dr. Sinha Ji elaborate on this query. Respectfully and in total humbleness I thank you and Dr. Sinha Ji,
🙏Jay Gurudeo🙏 Jay Jay Shri SitaRam Jay Jay Shri Hanuman ❤️Aapka gyan adbhut hai, mere sare sawalo ke jawab bari bari milte jaa rahe hai. Dhanyavaad Prabhuji, Dhanyavaad The Quest❤️
I have run short of words to express how simply and beautifully Guruji has explained this topic. I had no idea that while watching this video I would get the answer to the question that had been in my mind for years.
क्षमा करे मैं आपके इस विचार को शास्त्र सम्मत तो समझ सकता हु किंतु ये जीवन में कोई प्रकाश पैदा नहीं करते अपितु आप जीवात्मा की गुत्थी को और उलझा रहे है। युग प्रभाव के चलते सिर्फ राम नाम का आमंबन ही काफी है। फिर भी आपके संदेश के लिए आपको साधुवाद।
प्रणाम गुरुजी 🙏 हम आपके भी ऋणी हैं अपने ये महत्वपूर्ण ज्ञान हमको दिया वो बोझ भी आज कंधे पर लिए चलता हूं और आपके द्वारा प्राप्त हुए इस विचार को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पोहचाके आपका यह ऋण चुकाने की कोशिश करूंगा । 🙏
Blessed to have you, even my father and grandfather don't have this deep knowledge of the shastra's, can't explain how blessed i am to have you. Namaskar
@@bibekadhikari4730 too kya bro isko dharan karna jaruri hai ek vaishya ke liye? bcz mere dadaji ka janeu hua tha uske baad daddy ka nhi hua but mai dharmic hun i want to have it but kese? mai bas 15 ka hun and dady ko kese manaun?? ya agar wo nhi man rhe too mai kya karun? kis mandir me jaun ? kitne pese lagenge?
@@hinduextremist4912 bhai, tera mandir tere paas hain, tu man gaya bass, sansar ko badalney chala hai tu ? Khud ko badal pehley, bhakti sabsey bada aaur bhakti ke sath Dharma, dharma ka aartha hindu, muslim, christian nahi, jo sahi wahi karna, galat karna nahi, saab ko saman vaav sey swikar karna. Khusi hoti hai bhai 15 baras mein dharmik hai tu, bahut punya kiye hongey tuney janmo janam mein, divya aatma hai tu bhai, 🙏
गुरु जी को प्रणाम पाश्चात्य करण में भारत को रसातल में पहुंचा दिया है भारत की दिव्यता भारतीय दर्शन और ज्ञान में है जोकि विलुप्त हो गया है चैनल का प्रयास अत्यंत सराहनीय है
सत्य और वैज्ञानिक तथ्यों से परे, केवल मनोरंजक विवरण. 'यज्ञोपवीत ' सूर्य- चंद्र- पृथ्वी' के त्रिगुणात्मक प्रभाव पर आधारित 'एक नितांत वैज्ञानिक विधि' है- जिसका यथार्थ विवरण 'वेद्वाचस्पति (स्व,) मधुसूदन ओझा रचित'सन्ध्योपासना रहस्यम' में पढ़कर ' सत्य & यथार्थ' बोध प्राप्त किया जा सकता है. अपूर्ण एवं मनोरंजक केवल काल यापन के लिए है. पुस्तक 'राजस्थान-पत्रिका' जयपुर द्वारा प्रकाशित है.
जब कोई ग्रामीण जागरूक भारतीय किसी शहरी नवयुक हिंदू से रामायण ,गीता पर बात करता है तो उस शहरी को ये बातें बड़ी नीरस लगती हैं ।उसके दिमाग़ में अमेरिकी ,यूरोपीय लाइफ स्टाइल घुमाती रहती है ।ऐसा इसलिए कि वामपंथियो और नास्तिकों ने इस देश की सत्ता सम्हालकर देश को अंदर से खोखला करने का प्रयास किया ।
बहुत बहुत धन्यवाद प्रश्नकर्ता का और दादाजी का 🙏 क्या अगले वीडियो में आप थोड़ा विस्तृत रूप में पितृ ऋण और ऋषि ऋण को उतारने के मार्ग बता सकते हैं । हम सभी के लिए जीवन में अपने कर्तव्यों के प्रति और स्पष्टता लाने के लिए।🙏 ईश्वर आपको स्वस्थ और दीर्घायु दे , इसी प्रकार आप हम सबका मार्गदर्शन करते रहें 🙏
आदरणीय सिनहा साहब को सादर प्रणाम। बहुत अच्छी तरह से बताया यज्ञोपवीत संस्कार के बारे में। इसके बनाने में भी कयी आध्यात्मिक ग्यान की बातें हैं जो बताते तो अच्छा होता। इसमें सफेद निर्मल कपास से सूत्रों को बनाना फिर चार अंगुल प्रमाण से छानबे चौआ बनाना फिर चौरासी चौवे को तीन धागे में बचे हुए बारह चौवे से ब्रह्म ग्रंथि बनाना बाये स्कंध से हृदय क्षेत्र से होते हुए दाहिने जंघ तक गायत्री मंत्र के साथ सूर्य को साक्षी मानकर कुश जल अक्षत के साथ संकल्प लेकर पूर्व मुख होकर धारण करना मन बुद्धि इन्द्रिय आदि के हेय कर्मों को नकरना श्रेय कर्मों को करने का व्रत लेना शौच मैथुन देव कर्मों में सब्य स्थिति पित्रृ कर्मों में अपसब्य स्थिति में।लौकिक कर्मों में कपाल और कमर में रखने अशुद्ध होने से बचने सावन माह रक्षा बंधन में विवाह श्राद्ध पक्ष में पुराने को निकाल नया धारण करने मुख ज्ञान प्रधान ब्राह्मण के लिए मूंज का बल प्रधान क्षत्रिय को रेशम से बना कृषि गोरक्ष वाणिज्य व्यवसाय धन प्रघान वैश्य को कपास से और केवल गले कंठ में माला के रूप में श्रमिक वृत्ति सेवक सहायक शूद्र वर्ण के लिए स्त्रियों को मंगलसूत्र मणिमाला के रूप में धारण करने के विधान है।
ये बात सही है गुरु जी यज्ञोपवित धारण करने के बाद गुरु और माता पिता के प्रति मेरा नजरिया ही बदल गया यज्ञोपवीत ह्रर सनातनी को धारण करनी चाहिए समाज स्वत ही व्यवस्थित हो जायेगा
Jai Ho Sanatan satya ki 🙏🙏🙏 guru ji apka bahut bahut abhar aap itni gur rahisya ki baat ati saralta se batatey hai aapki swast wa dhirghayu ki prathna karta hu
मेरे विचार से मानवीय जीवन अग्नि के शक्ति पर टिका है। और सर्प अग्नि स्वरूप उसे न मारने का शपथ हि नागयज्ञपवीतम या यज्ञोपवीत और दुसरे चरण जनेयू । धन्यवाद।
Logical h समझ योग्य है कोई धूर्त बाबाओ की तरह नही है आपकी आयु और लम्बी हो यह मेरी दुआ है आपका धन्यवाद सही गुरु है आप महात्मा बुद्ध , ओशो के बाद aapka लॉजिक सही लगा
गुरु जी प्रणाम मेरा एक प्रश्न है जिस तरह से श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीमद्भगवद्गीता शुरू होने से पहले महाभारत की पृष्ठभूमि तैयार हो रही थी और उसके बाद श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया ठीक उसी प्रकार से पतंजलि अपने योग सूत्र में कहते हैं अथ योगानुशासनम यानी अब योग का अनुशासन किया जाए यानी कि इससे पहले कुछ ऐसी वार्ता चल रही थी जिसमें इसमें पतंजलि को यह कहना पड़ रहा है कि अब योग का अनुशासन किया जाए तो वह क्या वार्ता चल रही थी अगर इससे संदर्भित कोई व्याख्या हो तो कृपया हम लोगों को बताएं आप की महान कृपा होगी। बाकी यह सीरीज बहुत शानदार लग रही है और गुरुजी के समझाने की स्टाइल बड़ी ही शानदार है हमें तो लग रहा है कि जैसे मैं उनके सामने बैठ कर उनसे कुछ सीख रहा हूं मान्यवर जो गुरु जी का इंटरव्यू ले रहे हैं आप आपकी इस महान कार्य के लिए आपको बहुत-बहुत साधुवाद
आदरणीय! इससे पूर्व साङ्ख्य दर्शन है उसके बाद पातञ्जल योगदर्शन आता है, क्योंकि साङ्ख्य दर्शन ईश्वर को नहीं मानता, इसलिए उससे आगे यह दर्शन आरम्भ होता है। उसे जाने बिना इस को नहीं जान सकते एवं पातञ्जल योगदर्शन ईश्वर को मानता है।🙏💐