मुझे दिनभर साहब के दोहे ही याद आते रहते हैं में दोहे ही गाती रहतीं हूं 🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔 एक दिन ऐसा होएगा , कोई काहू का नाहिं । घर कि नारी को कहै ,तन की नारी जाहि।। 🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔 आचार्य जी को प्रणाम 🙏🙏🙏
अर्थ:- ऐ फकीर ! तुमने मेरे भीतर लगन लगा दिया. मैं अपने घर में सोई हुई थी. तुमने शब्दों की मार से मुझे जगा दिया है. मैं तो भवसागर में डूब रही थी, तुमने बांह पकड़ कर मुझे बचा लिया. एक ही वचन से एक ही शब्द से तुमने मेरे बन्धन छुड़ा दिये. फकीर तुमने मेरे प्राणों को प्राणवान बना दिया.❤ इस पूरे पद की मुख्य बात है- मैं अपने घर में सो रही थी, भवसागर में डूब रही थी, तुमने शब्दों से मारकर जगा दिया ? मुक्ति का उपाय शब्द है. यथास्थिति के मोहपाश में बँधे हुए को मुक्त कराने के लिए और कोई हथियार काम नहीं करेगा. शब्द से ही माया मोह नाना जंजाल मिथ्याचार के बंधन को काटा जा सकता है. शब्द की इस सामथ्र्य पर कबीर को पूरा भरोसा है. वे इस बात को बार-बार कहते हैं-❤❤❤