मैं जब पहली बार विपासना किया तो मुझे लाभ हुआ पर आज मैं सौभाग्य से दूसरी बार विपासना किया , मैं बता नही सकता मुझे तो इतनी अच्छे से समझ आई, गोयंका जी को नमन है 100बार नमन है , मेरे पास अभी सब्ध नही है मैं क्या बोलूं ।।।
A 10 day course has changed me as a miserable person to a happy person. Relationship with everyone has changed with a positive impact ❤ Love to all. May all beings live happy ❤
गुरुजी आप कहते हैं की गांधींजी विपश्यना करते थे लेकीन उनका चित्त निर्मल हुवा था क्या ? अगर चित्त निर्मल हुवा होता तो डॉ बाबासाहेब आंबेडकरने दलीतो के लिये अलग मतदार संघ मांगा त़ो न मिलने के लिये गांधींजी अनशन पे बैठे थे. सच में गांधींजी के दिल में करुना होती तो दलीतो पर मैत्री भाव करत थे . बाबासाहब को पुणे करार नाही करना पडता.