जय देव भूमि जय उत्तराखण्ड भाई जी मैं पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल विकास खण्ड आमकुलाऊं गांव का रहने वाला हूं सेवा निवृत्त होने के पश्चात गांव आया हूं थोड़ा बहुत पच्चीस नाली में कीवी की बागवानी की है आपने पिथौरागढ़ विषाण गांव का वीडियो बहुत ही मेहनत करके बनाया है इस के आपका शुक्रिया हमारे पहाड़ बहुत ही सुन्दर है और परिस्थितियों अधिकांशतः ऐसी ही सभी जगह है वास्तव में पानी की समस्या है जिसका और कोई विकल्प नहीं है । धन्यवाद।
मेरा नाम हीरा बल्लभ भट्ट , मुझसे सात पीढ़ी पहले हमारे पूर्वज श्री वीरभद्र/बलिभद्र, इसी विशाड गांव से आकर गरूड़ ब्लौक के तिलसारी गांव में बस गये। आज इस गांव में भट्ट बंशीलाल के 50-60 परिवार बसे हैं । अपने बुजुर्गौ के गांव को देख कर बहुत हर्ष भी हुआ साथ में पलायन को देखते हुए दुःख भी । चार मंजिला मकान, और रहने वाला कोई नहीं।
है गांव में अभी भी टूटा मकां हमारा है उसमें अभी बाकी नामोंनिशां हमारा छत तो बची नहीं है दरवाजे पर है ताला दीवार में है मंदिर उसमें लगा है जाला वीरान हो गया है वो आशियां हमारा।
लोग पलायन की परिभाषा गरीबी और बेरोजगारी से जोड़कर बताते है,,मगर मेरे हिसाब से जिस गाँव मे सबसे अच्छे नौकरी वाले होते है वो सबसे पहले शहरों मे मकान बनाते है,इसलिये पलायन का प्रमुख कारण सरकारी नौकरियाँ ही है,,गाँव बावई रूद्रप्रयाग से कुलदीप गुसाँई
❤ जय हो देव भूमि उत्तराखंड ❤ आने वाले समय में पहाड़ के गांव का क्याहोगा शिक्षा रोजगार अपनी जरूरत पूरी करनेके लिए अपने ही गांव। अपने अपने खेत अपने लोग अपने रिश्ते नाते धीरे धीरे सब छूट रहे हैं हम शिक्षित तो हो रहे हैं लेकिन नासमझ भी बढ़ती जा रही है अधिकतर पहाड़ों में उत्तराखंड के सभी गांव की दशादिशायही है
बहुत अच्छा लगा , आपने बहुत मेहनत की और हमें भी गांव देखना अवसर मिला हमने केवल गांव का नाम भट्ट ब्राह्मणों के बारे में सुना था आपने गांव व मंदिरों के दर्शन करा दिए। सच में आज मुझे अपने गांव एवं अपने पुरखों का स्मरण हो गया भौतिक सुख के लिए हमने अपनी जड़ें भुला दी,,,, मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा आप इसी प्रकार पहाड़ व पहाड़ियों की पीड़ा को उत्तराखंडी जनमानस तक अवश्य पहुंचाते रहेंगे। ईश्वर आपको सदैव स्वस्थ व निरोगी रखे। शुभकामनाओं के साथ।
प्राकृतिक सुन्दरता और विद्वता से भरपूर विषाड़ गाँव उनके वंशजों की अनदेखी और बेरुखी का दंश झेल रहा है l विलक्षण विद्वता के धनी भट्ट जी लोगों से विनम्र निवेदन है कि गाँव की सुधि भी लिया करें l
सबसे पहले आपको नमस्कार, आपने बिशारद गांव पर बहुत अच्छी वीडियो बनाई इस गांव के बारे में बहुत पहले सुना था, गांव के बारे में असल जानकारी आज प्राप्त हुई बहुत बहुत धन्यवाद
आपने जो गांव का दर्शन कराया बहुत सुंदर उससे सुंदर संदेश भी मिल रहे हैं और जो प्राकृतिक सौन्दर्य को आपने खूबसूरती से दिखाया बहुत अच्छा लगा आशा है इसी तरह पहाड़ और गांव विरासतों से आप रू-ब-रू कराते रहैंगे धन्यवाद।❤
बहुत सुंदर, प्रभावशाली प्रस्तुति, विस्तार से ग्रामीण परिवेश की जानकारी ने भावनाओं को व्यथित कर दिया। किसी की भी या कोई भी विडीयो इतने तन्मयता के साथ आज तक मैने नही देखी, बिना यह देखे कि कितनी लंबी वीडियो है लगातार उत्सुकता बनी थी। आपके संयोजन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌹
सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य आदरणीय, पूज्यनीय गिरीश भट्ट जी को सादर प्रणाम व चरण स्पर्श, मेरा भी सौभाग्य रहा, रा इ का आठगावशिलिंग में हम एक साथ कार्यरत रहे,से अ एल टी - गणित के पद पर, तथा पूज्यनीय गिरीश भट्ट जी, प्रवक्ता अर्थशास्त्र के पद पर , कार्यरत रहे, बिषाड़ के बारे में इतनी सुन्दर जानकारी देने के लिए, और गुरु लोगों के दर्शन करवाने हेतु , आपका हार्दिक आभार व धन्यवाद,
हमारे पूर्वज भी हम से सात पीढ़ी पहले यहां से आकर बागेश्वर जिले के गरुड़ ब्लॉक में तिलसारी नामक गांव में बस गए हैं। विशाड़ से तिलसारी आने वाले हमारे पूर्वज का नाम महानंदभट्ट था। अतः पिथौरागढ़ आने के बाद मुझे भी जिज्ञासा हुई की अपना मौलिक गांव देखा जाए तब 1998 में इस गांव को देखने का अवसर प्राप्त हुआ। कृपया वंशावली शेयर कीजिएगा।
Aaj mi leh Ladakh si aapke video dekh rha hon sach mi muje Aaj bhot yaad aa rhe hai gaon ki bhot acche video hai aapke aise hi bante rho thanku Hamra gaon ko dekhne ki liye.
अति सुन्दर, वीडियो बनाने के लिए धन्यवाद। मेरा गांव है और मैने ही नहीं देखा कभी😢, दुर्भाग्य है या मजबूरी नहीं पता परंतु प्रयास रहेगा की यहां भी आगमन शुरू किया जा सके।
सादरप्रणाम आपको बहुत बहुत साधुवाद विषाड़ गांव को देखकर बहुत अच्छा लगा मेरे पुरखों का गांव है हमारे पुरखे बहुत पहले गांव छोड़कर अल्मोड़ा जिला के लमगड़ा तहसील जैंती शहर तल्ला सालम गांव गणाऊं आकर बस गये थे आपने बहुत अच्छा सचित्र वर्णन किया है और अपनी पुरखों की जमीन से जोड़ने का आवाहनकिया है आप स्वस्थ और निरोग रहे ऐसे ही मार्गदर्शन करते रहें बहुत बहुत धन्यवादशुभकामनाएं सहित 🙏💐🌹🙏
महोदय आपने बिशार्द गॉव को दिखाकर बहुत बड़ा उपकार किया ये कुमाँयू के मशहूर ब्राम्हणों का गॉव है लेकिन पलायन का शिकार है क्षमतावान अब गाँव मै नही रहे सिर्फ यादै ही रही ।
आपके द्वारा पूरे बिशारद गाँव में अद्भुत एवं सत्य व्याख्या की गई वास्तव में आप और आपकी फोटो ग्राफी द्वारा बहुत प्रभावशाली मोड़, सभी समुदाय के बारे में सूचीबद्ध समझा गया है मुझे उम्मीद है कि आप पहाड़ के दुर्गम क्षेत्र को समझाएंगे। ताकि सभी अपने पितृ देवभूमि को कोई भुलाएं नहीं तथा किशी भी रूप में दर्शन करने आयें।पहाड़ का आत्मसम्मान बढ़ाया जाए .-
आपके ब्लॉग हर कोण से सम्पूर्ण हे। धन्यवाद है आपका जो हमारी विरासत का उद्घाटन सोशल मीडिया के माध्यम से करते रहते हैं। वीडियो ग्राफी भी उत्कृष्ट है।हर जिज्ञासा का शमन भी करते जाना आपकी विशिष्टता है।
बनधुवर आपके इस विडियो की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम ही होगी आपके द्वारा गांव का जो चित्रण किया गया है वह बहुत ही मार्मिक एवं काबिले तारीफ है बहुत सुंदर 🌺🙏
प्रणाम।विसार्द गांव को देखकर बहुत सुंदर लगा।हम भी भट्ट जाति के ब्राह्मण हैं तथा सन् 1600के बाद ही हम भी दक्षिण भारत से चन्द्र बदनी के पुजारी के रूप में टिहरी गढ़वाल में आए हैं आपके गांव का सुन्दर बिडियो देखकर बहुत अच्छा लगा।प्रणाम।
Dakshin Bharat se aane ka matlab aap log kumauni nahi balki South Indians the to fir apki jeevan sheli me South ka kuch to prabhav abhi bhi hona chahiye jaise ki khan pan kapde pahanane ka tarika ya pooja krne ki padhati aur surname to wahi South ka hona chahiye tha. Bhutt to pahadi surname hai.
@@MrinalM. प्रणाम. आप kumaon aur garhwal का इतिहास जरूर पढियेगा सबको पढ़ना चाहिए. दर असल कुछ बहुत कम लोग ही यहां के पुराने निवासी है. सब लोग किसी ना किसी समय मे विभिन्न स्थानो से यहा आए हुए है।
आते रहा करो रे भाभर वालो अपनी पित्तर कुड़ी में भी में तो ये कहना चाहूंगा की 90 के दशक तक के जो भी भाई लोग है अधिकतर वह इन्ही पहाड़ो में इन्ही मकानों में पैदा हुए है उसके बाद लगभग पलायन शुरू हो ही गया था हमारे पहाड़ो से तो में कहना चाहूंगा जिस घर आँगन में आपलोग पले बड़े जिस घर में घर आँगन की दीवाल को पकड़ के चलना😢😢😢 सीखा, खड़ा होना सीखा उस घर आँगन को जरूर सवारे😢😢 उसमे हम सब के पित्तरों की या नी हम लोगो की जड़ यही है हमारा मूल यह ही है जय ईस्ट देव जय भूमिया देवता
महोदय आपको बहुत-बहुत बधाई की आप जिला मुख्यालय के निकटतम गांव बिषाड़ में आये यदि आप बिषाड़ श्रेत्र के अन्य गांव की जानकारी भी अपने विडियो के माध्यम से लोगों तक पहुंचा देते तो शायद जिन लोगों ने अपने गांव को बिरान कर दिया हो वो लोग पुनः अपने अपने गांव को वापस आ जायें। महोदय कृपया आप अपना परिचय भी विडियो के माध्यम से देने का कष्ट करेंगे। धन्यवाद आपका
यह रिसर्च का विषय हो सकता है कि विषाड़ शब्द विशार्द शब्द का अपभ्रंश है और उससे पहले विशार्द शब्द विशारद शब्द का अपभ्रंश तो नहीं है? क्योंकि विशारद शब्द ज्ञानी या विद्वता की डिग्री या किसी विद्या में निपुणता का प्रतीक हो सकता है। और यह गांव तो विद्वानों के द्वारा बसाया गया है।
मुझे यह देखकर बहुत अच्छा लगा हमारे पूर्वज भी करीब 200 साल पूर्व कौसानी के निकट कांटली आके बस गए। कृपया बंसावली प्रदान करने की कृपा करे । गिरिजा शंकर भट्ट।
भुवन चंद्र जोशी रंगदेव बागेश्वर भट्ट जी आप का विडियो देख कर बहुत अच्छा लगा पर बिसाड वासियों ने आप को खाना खाने के लिए कुछ नहीं बोला यह देख कर बहुत दुख हुआ आप की विडियो बहुत अच्छी बनती है धन्यवाद,
🙏🙏 An Imotional and Inspiring video for remembrance of our Ancestral heritage. Now the right time to return towards our native villages ( Kumoun region, Dwarahat, Almora) and save our birth land 🙏🙏