आज मैने पहली बार युटुब मै आप का विडोज देखा आंखे नम हो गई बोलने को शब्द नही है मेरे पास, मेरा भी घर अल्मोड़ा चोखोटिया तरागतल मै है, 29शाल मुझे हो गए कोई जमाने मै पापा जी गए थे गांव जब वो 9th कलास मै थे, आज हमारे पिताजी ही नही है 209मै भगवान को प्यारे हो गए मै जाऊंगा अपना गांव अब 😢😢
बहुत सुंदर भाई जी । आपके अंदर बहुत हौसला है । आपने बहुत सुंदर घर दिखाए पहाड़ो के और गांवों की सुंदरता भी। आज दिनांक 4/5/2024 की रात को आपकी वीडियो बिना स्किप किये हुये देखी । आपके इस भृमण पर मुझे आप पर गर्व है।
दाजयू, आपने बहुत सुंदर प्रस्तुति दिखाई गांव की। घरों को देखकर हृदय बहुत भाव विभोर हो गया। कितनी मेहनत से हमारे पूर्वजों ने उन घरों को बनाया होगा। लेकिन गांव में काम की मजबूरी और सड़के ना होने से अस्पताल की कमी होने से कई ऐसी चीजें जो कि पहाड़ों में अभी तक नहीं हो पाई। इस कारण भी लोग अपने घरों को मजबूरन छोड़ कर चले गए। अगर पहाड़ों में यह सुविधा हो जाए तो हम लोगों को कहीं भी हिल स्टेशन जाने की जरूरत ना पड़े। प्राकृतिक दृश्यों के सामने,शहरों ऊंची बिल्डिंग, मोटर गाड़ियां, या कोई भी ऐशो आराम की चीज बहुत फीकी सी लगती है। अपने गांव का प्राकृतिक सौंदर्य दिखाए व समझाया उसके लिए आपको कोटि कोटि नमन❤❤❤
जैसे जैसे लोगो के पास पैसा आता गया लोग गांव छोड़ने लगे थोड़ा बहुत जो गांव बचे है वही लोग है जो मजबूर है नही तो सब कब के पलायन कर गए होते😢 आप सभी को प्रणाम पैलाग टिहरी गढ़वाल ❤
जो लोग आज से 40 या 50 साल पहले उत्तराखंड से पलायन कर चुके उन्हीं की वजह से क्योंकि उन्होंने बहुत कमर तोड़ मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ाई लिखाए आज इन्हीं की वजह से उत्तराखंड मैं लेटर वाले मकान बने और उन लोगों ने ही बताया कि पलायन करने के बाद भी हम अपनी भूमि से जुड़े अन्यथा पहाड़ में पैसा कहां से आता
नमस्कार जी गाण घतार पहाड़क ठंडी हवा चलतें रोल तमर विडियो देख भेर पहाड़क दर्शन होते रल तुम हगाणी बणते रो तमर लिजिक हर सड़क हर गॉवक बाट दरवाज आपो आप खुल ते रोल जय हो देव भूमि
बहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया पलायन के बारे में आपके इस मेहनत के लिए आपको सैल्यूट है मैं ईष्ट देव गोलू जू से प्रार्थना करता हूं कि आप अपने इस प्रयास के लिए जरूर सफल होए बहुत बहुत धन्यवाद
Bhai ji Jo aapne makan dikhaya jo band tha wo Mera hi hai Jo sabse upar tha aapne mujhe Mera Ghar dikhaya aur aapka bhaut bahut dhanyawad ham sare log bahar hi hai job ke chalte
बहुत सुंदर भैय्या यहां के दोस्त लोग थे हमारे स्कूल टाईम पर स्कूल का नाम था महतगांव यहां से मेरे मायके का एरिया शुरू होता है कुँवाली थैक्स आप का हमारी यादे ताजा करने को
जब बिटीकि हमरु राज्य उत्तराखंड ह्वे अपणा खुटौन खड़ु नि ह्वे बस उतणदंड ह्वे। विकास क नौ पर बस खंड मंड ह्वे शहीदूं कू दिख्यूं सुपिनू खंड खंड ह्वे अपणा खुटौन खड़ु नि ह्व बस उतणदंड ह्वे।
सुविधाओं का अभाव, पलायन को मिला भाव, मुख्य कारण यही है, उसी कारण बंदरों और जंगली जानवरों का आतंक अब अलग से है, उज्जवल भविष्य जहां रहना पसंद करता हर कोई वहां है, इंसानी जिंदगी खानाबदोश की तरहां है, पहाड़ भी किसी समय, कोई तो कारण रहा होगा, बसा भी तभी है।
भाई जी सिर्फ बढिया मकान होना गाँव में रहने का जरिया थोड़़े ही है। कभी सरकारी अकर्मण्यता पर भी प्रकाश डालें तो सायद कुछ उत्थान हो पहाड के दर्द का। गाँव वासियों से ही सुना कि रोड कनैक्टिविटी नहीं है। तो फिर वहां कोई क्यों रुका रहेगा। सिर्फ इसलिए कि मेरे पुर्खों की धरोहर है। सोचने का बिषय है.. । रोजगार.. कहाँ से लाओगे रोजगार......
👌👌👌👌Uttrakhand ke bare mein bahut sundar explain kiya hai uttrakhand ka har cona har pahad har road har khet khaliyan wahan ke sachche bhole bhale logo ka bahut kathin jiwan 👍👌👌
बहुत सुंदर प्रस्तुति। । आज लोग पलायन के लिए मजबूर हैं बेहतर जीवन के लिए व रोजगार के लिए लोग पलायन करने को मजबूर हैं पर कर्म भूमि जहाँ भी हो हमें अपने पूर्वजों की धरोहर का भी समय-समय पर जो हमारी जन्म भूमि है की ओर ध्यान देना चाहिए समय बिताना चाहिए।
दाजू आज आप की कोसोश की बहुत सुंदर थी मैं भी इसी गांव का रहेने वाला ही यानी दुगोडा कोट आंगड़ी से पहले जो आप ने दिखाया दाजु गांव का हाल तो आप ने देखा ही इस का मुख्य कारण रोड का नही होना है क्योंकि जब भी कोई दुख तकलीफ होती है उस समय बहुत कष्ट उठाना पड़ता जिस कारण आज लोग गांव छोड़ छोड़ कर जाने को मजबूर है धन्यवाद आपका का बहुत बहुत 🙏🙏
❤❤ भाई आपकी पूरी वीडियो देखी है लेकिन आपकी शक्ल नहीं देखी कितने अच्छे अच्छे मकान हैं गांव में लोग भी नहीं है सब लोग पलायन कर चुके हैं फिर भी अपना घर देखने जाना चाहिए😊😊😊
बेहतर जिन्दगी की चाहत और रोजगार की मजबूरी पलायन के कई बिन्दुओं में से दो मुख्य बिन्दु है। " पलायन " संसार के लिये शाश्वत सामाजिक मुद्दा नित बना रहेगा । गरूड वाली विडीये बहुत अच्छी लगी । विशेषकर जूते - चप्पल मरम्मत करने वाली बाला कीआत्मविश्वास ने मुझे बहुत प्रभाव्ति किया । पथिक ऐसे ही चलते चलो ... . . . चलते चलो और सालों - साल से वीरान पड़े भवनों व बाखलियों के दर्शन कराते रहो। बन्द पड़े सूने खोली - दरवाजों को खट खटाते रहों। तुम्हारे ईमानदार परिश्रम को सलाम है।😊😊
Aap ka hur video mai dekhta hu ,aapki prastuti bahut uttam hai 🙏, kya aap hume uttrakhand ke us jagah ko bhi dikhyen Joo 2000 MTR se jyada height ki hoo aur sant hoo please 🙏
Sir door duragam pahadi village me jatiwaad casteism but hota h iss but difficulties hoti h sir kuch kariye Note ,: me khud bhatt bhramin hu pithoragarh se