नैसरगिक सुंदरा का कोई जबाब नही ना ही पांडे जी के प्रस्तुति करण की लाजबाब बहुत अच्छा लगता है जब आप पहाड़ों का दर्द ,रहन,सहन,रीति रिवाज मेहमान नवाजी और सुंदरता का बखान करते हैं
पेड़ के पंछी अब पिंजरे में आ गये हैं आज़ाद फिरने वाले पहरे में आ गये हैं बड़े शहर में इक फ्लैट ले लिया है दस बाइ दस के कमरे में आ गये हैं। ।। जसवन्त सिंह बिष्ट।।
आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है। उत्तराखंड के बारे में पांडे जी आपने बहुत अच्छा काम किया है। इन घरों में पहले कितनी रौनक हुआ करती होगी। जय उत्तराखंड हर हर महादेव शिव शम्भू।🙏🙏🙏🙏🙏
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कभी "दसौली" गांव की भी सैर कराइये। मेरा ससुराल का गांव है वह। मै वहां एक बार ही गई हूं। क्यों कि मेरे ससुराल सब झांसी बस गए और मायके वाले भी यूपी मे। इसलिये विवाह के बाद झांसी ही आई थी।
क्या देखू बेटा तुम्हें ये बाखली देख कर अपना घर याद आ रहा है,पापा चाचा सब लोग पर बुरा भी लग रहा है,गांव तो गांव ही है,पर आज दिल्ली की गर्मी मैं सड़ रहे हैं,काश उस समय बी टी सी कर ली होती तो पर घर की कंडीशन नही थी आज पहाड़ के नशे की हालत देख कर डर लगता है,और पहाड़ी मेहनत कश वाली बात खत्म है,हमने खूब हल चलाया मेहनत की अब सब खत्म है,पुराना मकान तोड़ दिया चार कमरे सीमेंट के डाल दिए,पानी,बात रुम सब है,पर बच्चे तो जाना नही चाहते है,सिर्फ टूरिस्ट बनना चाहते हैं,सब बेकार है अपनी पेंशन खाने के भी लाले पड़ गए हैं आपकी वीडियो देख कर बहुत दुख हुआ और कुछ लोगों के विचारों से काफी अच्छा लगा,। अब विदेश मैं भी कुछ नहीं है,सभी लोग जानते हैं,स्वर्ग तो स्वर्ग ही है,काश,, । डी सिंह कठायत,
Sarkaar se nivedan hai ki itani utpadak falpattei Wali jagah se bhi palaayan karna pad Raha hai kyoki falo ka sahi daam kisaano ko nahi mil rhaa hai sarkar ko jaruri thos kadam uthaane chahiye falo ka sahidaam mil sake