कमेंट करणाऱ्या भावांनो बहिणींनो येथे त्या पशूचा रेड्याचा बळी दिलेला नाही त्याला कुठलाही प्रकारे इजा पोहोचवली नसून फक्त देवीच्या नावाने सोडून दिला आहे त्याला ❤❤
मी पण सहमत आहे या गोष्टी वर, भाऊ मी पण एक ९६ कुळी मराठा आहे, शिवाजी महाराजांनी राज्याभिषेक क्या वेळी बळी न देता स्वतः ची करंगळी कापून वाहिली होती महादेवाच्या पिंडीवर की मुक्या जनावरांवर अत्याचार नको म्हणून, देवी देवता है आपले श्रद्धास्थान आहे पण त्या देवतांनी कधी सांगितलं नाही की माझ्या समोर मुक्या जनावराला मार म्हणून 😢
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
तुझी पिढी गुखान्यात,गुलामीत गेली बाबा पण या तरन्या पोरांना नादी लागू देऊ नको.. त्यांना शाळा शिकव... फार मोठे होतील,फकिरा सारखं बहादर होतील.. जय शिवराय, जय भिमराय,जय लहुजी
जैन धर्म में माना जाता है कि हठयोग करने से निर्वाण अर्थात मोक्ष की प्राप्ति होती है। जबकि गीता अध्याय 17 श्लोक 5-6, अध्याय 3 श्लोक 6 में हठयोग के लिए मना किया गया है। यानि यह एक मनमाना आचरण है।
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 5 कूचिज्जायते सनयासु नव्यो वने तस्थौ पलितो धूमकेतुः। अस्नातापो वृषभो न प्रवेति सचेतसो यं प्रणयन्त मर्ताः।।5 ।। पूर्ण परमात्मा जब मानव शरीर धारण कर पृथ्वी लोक पर आता है उस समय अन्य वृद्ध रूप धारण करके पूर्व जन्म के भक्ति युक्त भक्तों के पास तथा नए मनुष्यों को नए भक्ति संस्कार उत्पन्न करने के लिए विद्युत जैसी तीव्रता से जाता है अर्थात् जब चाहे जहाँ प्रकट हो जाता है। उन्हें सत्य भक्ति प्रदान करके मोक्ष प्राप्त कराता है।
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है) यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17, 18 पूर्ण परमात्मा कविर्देव तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सत्यलोक की स्थापना करके तेजोमय मानव सदृश शरीर में आकार में सिंहासन पर विराजमान है।
कबीर, जिन राम कृष्ण निरंजन किया, सो तो करता न्यार। अंधा ज्ञान न बूझई, कहै कबीर बिचार।। सर्व सृष्टि का कर्ता कौन है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1 : परमात्मा साकार है। अगने तनुः असि | विश्नवे त्व सोमस्य तनूर' असि || यहां दो बार कहा है कि परमेश्वर का शरीर है। उस सनातन पुरुष के पास सबका पालन-पोषण करने के लिए शरीर है अर्थात् जब भगवान तत्वज्ञान समझाने के लिए कुछ समय के लिए इस संसार में अतिथि के रूप में आते हैं, तो वे अपने वास्तविक शरीर पर प्रकाश के हल्के पुंज का शरीर धारण करके आते हैं।
राम भगवान का जन्म मां के गर्भ से हुआ जबकि पूर्ण परमात्मा ना तो मां के गर्भ से जन्म लेता है और न ही उसकी मृत्यु होती है तो फिर आदिराम (पूर्ण परमात्मा) कौन है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
एक राम दशरथ घर डोले, एक राम घट घट में बोले । एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन न्यारा ।। इस "राम नवमी" पर जानिए कौन है वो "आदि राम" जिसने इस संसार की उत्पत्ति की। अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर अर्थात कबीर परमेश्वर पूर्ण विद्वान है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम) का है, (शुक्रम अकायम) वीर्य से बनी पांच तत्व से बनी भौतिक काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है। उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वर्ज्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है।
ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5 अग्निः होता कविः क्रतुः सत्यः चित्रश्रवस्तम् देवः देवेभिः आगमत् ।।5 ।। सर्व सृष्टी रचनहार कुल का मालिक कविर्देव अर्थात् कबीर साहेब है जो तेजोमय शरीर युक्त है। जो साधकों के लिए पूजा करने योग्य है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 से 20 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) शिशु रूप धारण करके प्रकट होता है तथा अपना निर्मल ज्ञान अर्थात तत्वज्ञान कबीर वाणी के द्वारा अपने अनुयायियों को बोल-बोल कर वर्णन करता है। वह कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ब्रह्म के धाम तथा परब्रह्म के धाम से भिन्न जो पूर्ण ब्रह्म का तीसरा ऋतधाम (सतलोक) है, उसमें आकार में विराजमान है तथा सतलोक से चौथा अनामी लोक है, उसमें भी यही कविर्देव (कबीर परमेश्वर) अनामी पुरुष रूप में मनुष्य सदृश आकार में विराजमान है।
ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है। ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
जैन धर्म में व्रत, उपवास मुख्य तौर किया जाता है। जबकि गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत करने के लिए मना किया गया है। वहीं विचार करें परमात्मा हम सभी का पिता है तो क्या एक पिता अपने बच्चों को भूखा देख खुश हो सकता है। इसलिए मोक्ष दायक भक्ति विधि जानने के लिए पढ़िये 'हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता वेद पुराण'
राम कृष्ण से कौन बड़ा, उनहू भी गुरु कीन्ह । तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन ।। इस "राम नवमी" पर जानिए कौन है वह "तत्वदर्शी संत" और इस समय धरती पर कहां है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।