चार जुगा का जूना जोगी हेरलो दीदार रे हेर गा कोई संत सुरवा साहब का सच यार रे सुखमण शेती ध्यान वहां धारी है खुले दसवां द्वारा रे सुन में एक भान भलकिओ आगे अगम अपार रे चार पेड़ी अदर मेडी चढ़ देखो दीदार रे वह पेड़ी कोई संत जन चढ़ सी जैसे मकड़ी तार रे नहीं है होटों नहीं है कांठो नहीं है जिभ्या सार रे नैना ऊपर एक बिस्वा मुक्ति का आधार रे अदर आसान सदर मूरत आदर है किरदार रे करोड़ सिंधु ध्यान वहां ध्रिये तो भी नहीं पायो पार रे करोड़ कथनी कथ रेह्या अवधु तोही नहीं दरकाश रे रजा शेट्टी रम रहिया है गावे बिहारी दास रे
11 окт 2024