सादर प्रणाम गुरूजी🙏🙏बहुत अच्छा उत्तर दिया गुरूजी आपने👏👏 रामभद्राचार्य जी को। मैं सोच ही रही थी कि स्वामी दयानन्द जी को बिना पढ़े और समझे कोई कुछ भी कैसे कह सकता है ? इन लोगों के लिए सही कहा आपने मुखं अस्यास्तीति वक्तव्यम्।अरे इन्होंने सत्यार्थप्रकाश के तृतीय समुल्लास को अच्छे से पढ़ लिया होता तो आज ये युग प्रवर्तक स्वामी महर्षि दयानन्द जी के बारे में अनर्गल, मिथ्या बातें कहने का कभी भी दुस्साहस नहीं करते। गत वर्ष भी गुरूजी आपने राघवाचार्य जी को उल्टे मुंह लौटाया था और इस बार पुनः रामभद्राचार्य जी भी उसी पंक्ति में खड़े हैं। रामभद्राचार्य जी ! स्वामी दयानन्द जी को समझने के लिए आपको करोड़ों जन्म लेने पडे़ वो भी कम होंगे अत: आप अपनी ही इस भूल को सुधारो😡महर्षि दयानन्द जी जैसा इस जग में न कोई था और ना ही कोई होगा। महर्षि दयानन्द जी की जय हो, आर्यसमाज अमर रहे, गुरुकुल प्रणाली जिन्दाबाद🙏👏
सादर नमस्ते आदरणीया आचार्या जी । आपके अत्यंत ओजस्वी, प्रभावशाली, तर्कपूर्ण वाणी के लिए शत-शत नमन और आभार । महर्षि दयानंद के अनुयाई परम विदुषी ही ऐसा शास्त्राधारित खण्डन कर सकते है । पुनः पुनः नमन्
माननीया डो. सूर्यादेवीजी आपने आर्य नारी जगत का प्रतिनिधित्व किया है, आप साहसिकता, निर्भिकता से विद्वतापूर्ण वक्तव्य दिया है मै आपको वन्दन करती हूँ ( मुम्बई से जया पटेल)
नमस्ते विदुषी बहन आचार्या श्री, आपने विज्ञान के आधार पर अति उत्तम उत्तर दिए। भुरिशह धन्यवाद। यह रामभद्राचार्य जी अंधों और मूर्खों में काना राजा है इसलिए यह पौराणिक सत्य से अनभिज्ञ हैं और मूर्खों का समूह बनाकर सबको अविद्यांधकार में धकेल कर अपने स्वयं के जीवन और औरों के जीवन को नरक की और ले जा रहे हैं। इसलिए इन दुष्टों से सावधान! हे रामभद्राचार्य! आपको और आपके चेलों को वेदों वाले महर्षि दयानंद सरस्वती के शरणागत अति शीघ्र आना चाहिए और अपने जीवन को सफल बना मोक्ष को प्राप्त कीजिए, यह सत्य मार्ग दर्शन केवल मात्र महर्षि दयानंद और आर्य समाज ही दिखा सकता है!!! चूँकि यही दो अर्थात महर्षि और आर्य समाज ही वेदों के यथार्थ स्वरूप को प्रकाशित करता, मानता, जानता और धारणादि करता है।
@raniebiharie950 हे आर्य नमाज़ी दयानंद न तो ऋषि था और न ही महर्षि वो तो एक तर्कशास्त्री था जो अपने उल जलूल तर्कों से अपने मत को स्थापित करना चाहता था जो वो नहीं कर सका हाँ अपने अनुयायियों को नरक जाने का रास्ता जरूर दिखा दिया और जिसको तुम लोग वेद कह लोगों को मूर्ख बना रहे हो वो वेद नहीं हम हिंदुओ का चतुर्वेद है और वो कोई ईश्वरीय ज्ञान नहीं है बल्कि हमारे ऋषियों के द्वारा अपने इष्ट की स्तुति और महिमा का बखान करने के लिए रचे गए ऋचाओं का संग्रह मात्र जिसे एक कश्मीरी पंडित के द्वारा संकलित किया गया था |
पूज्या आचार्या जी आपको सदर प्रणाम 🙏🙏, श्रीमान् डॉ० महावीर अग्रवाल जी ने पत्र भेजकर श्री रामभद्राचार्य जी से स्पष्टीकरण देने, या अपने शिष्यों के द्वारा सत्यार्थ प्रकाश आदि ग्रंथों का अन्वेषण करके बताये कि कहाँ स्वामी जी ने ऐसा कहा है।
@bachansingh5683 हे आर्य नमाज़ी जिसको तुम लोग वेद कह लोगों को मूर्ख बना रहे हो वो वेद नहीं हम हिंदुओ का चतुर्वेद है और वो कोई ईश्वरीय ज्ञान नहीं है बल्कि हमारे ऋषियों के द्वारा अपने इष्ट की स्तुति और महिमा का बखान करने के लिए रचे गए ऋचाओं का संग्रह मात्र जिसे एक कश्मीरी पंडित के द्वारा संकलित किया गया था |
सतलोक की जरूरत नहीं है स्वर्ग की जरूरत नहीं है बैकुंठ की जरूरत नहीं है चार वेदों की जरूरत नहीं है गीता की जरूरत नहीं है नवधा की जरूरत नहीं है अष्टांग योग की जरूरत नहीं है निराकार साकार की जरूरत नहीं है। अब कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा जागृत बुद्धि से भागवत और कुरान के प्रमाण से एक पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद अल्लाह वाहेगुरु गॉड की पहचान कराई है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।🎉🎉🎉🎉🎉
कृपया 1000000008श्री जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के आदेश मानकर पोप एवं मौलवी प्रचोदित इस आर्य समाज को बन्ध कर के सनातन वैदिक मत मे ही वर्णाश्रम विरोध न करते हुए समावेश कर देन चाहिए
स्वामी रामभद्राचार्य जी ने कुछ असत्य नहीं कहा। वास्तव में सत्यार्थ प्रकाश नास्तिक विचारों सेग्रसित है। एकादश समुल्लास भागवतसमीक्षा लाल जिलत सत्यार्थ प्रकाश। सतयुग आदिसे आज तक दुनिया निराकार साकार को ही परमात्मा मान कर पुजती आ रही है। किसी को भी पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की पहचाननहीं हुई। जबकि यजुर्वेद का मंत्र स्पष्ट वर्णन कर रहा है। यजुर्वेदका मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। फिर भी किसी की समझ में नहींआया ऐसी है माया है। अब कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा जागृत बुद्धि से भागवत और कुरान के प्रमाण से एक पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद अल्लाह वाहेगुरु गॉड की पहचान कराई है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।🎉🎉
Excellent Bahut accha uttar diya aapne kotish Prnam. Mahrishi Dayanand ke virudh Bolney walo ko Muh todkr jabab dena jaruri nhi toh asty havi ho jata h.
@@pradipsingh9828 हे आर्य नमाज़ी इतना घमंड किस बात का श्रद्धानंद याद है न अपने अहंकार में वो सबको शास्त्रार्थ का चुनौती देता रहता था एक झटके में एक ग़ाज़ी उसका अहँकार चूर चूर कर दिया था
गीता और वेदों को पढ़कर परमात्मा प्राप्त नहीं होते। अगर वेदों को पढ़कर परमात्मा प्राप्त होते हैं तो सृष्टि के ब्रह्म को क्यों नहीं हुए। विष्णु और शंकर को क्यों नहीं हुए हैं। सतयुग आदि से जितने भी ऋषि महात्मा दुनिया में हुए गुरु किसी को भी पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानन्द अल्लाह वाहेगुरु गॉड का पता नहीं है। सब निराकार साकार में ही उलझे रहे। कलयुग बुद्धशाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा जागृत बुद्धि से अखंड परमधाम जाहिर हुआ है जिसका किसी को भी ज्ञान नहीं था। इसलिए कलयुग चारों युगों मेंश्रेष्ठ है।🎉🎉🎉🎉🎉🎉
इस भद्राचार्य ने जरूर कोई पिछले जन्म में आंखो से दोष किया होगा जो इनसे परमात्मा ने छीन ली अब इसने जो वाणी का दोष किया है हो सकता है परमात्मा इनसे अगले जन्म में वाणी भी छीन ले । ये पौराणिक कथा कार गडंग बोलते रहते हैं अगर इसमें दम है तो आर्य समाज के साथ शास्त्रार्थ करे अन्यथा माफी मांगे ।
अधिकार आर्यसमाजी ऐसे ही लोगों से घिरे हुये हैं! स्वामी निश्चलानन्द, रामभद्राचार्य जैसे परस्पर धुर विरोधी धर्मगुरु स्वामी दयानंद सरस्वती पर झूठे आरोप लगाते हैं लेकिन आर्यसमाजी चुप? भ्रष्ट, चरित्रहीन, नाकारा, धर्मरहित पाश्चात्य की अंधभक्त व्यवस्था के समर्थक लोगों को क्या कहा जाये तथा उनको किस संगठन का माना जाये?
कृपया पोराणिक श्लोक ही आप बोले अन्यथा पाप लग जायेगा * न स्त्रीशूद्रौ वेदमधीयाताम्* लिखा है। रौरव नरक मे गिर जायेङ्गे* उस को सुनकर अन्य निर्दोषी पामर लोग भी नरक मे गिरेङ्गे
स्वामी रामभद्राचार्य जी बिल्कुल सत्य कह रहे हैं अध्ययन करके कह रहे हैं क्योंकि मैं भी सत्यार्थ प्रकाश को पढ़ा है वास्तव में उसमें लिखा है कि रामायण महाभारत पुराण ब्रज लीलारासलीला इन्हें काल्पनिक बताया है। तभी से मैं आर्य समाज को छोड़ दिया था। अगर यह बात सत्य है तो आपको भी आर्य समाज छोड़ना पड़ेगा।🎉🎉🎉🎉🎉
आपको ठीक से दुबारा पढ़ने की जरूरत है तृतीय समुल्लास को, आपने कुछ ओर पढ़ा है फिर😂रामभद्राचार्य जी ने हार स्वीकार कर ली है वीडियो प्राइवेट करके धन्यवाद जय महर्षि दयानन्द की, आर्यसमाज की जय ❤
सावधान ! अटक अटक कर बोलने वाले आपकी बुद्धि को अटका देंगे और इनको ज्यादा सुनने का दुष्परिणाम ये होगा की इनके श्रोताओ का बुद्धि भी फिर अटक अटक कर चलने लगेगा अर्थात हैंग होने लगेगा 😂😂