Тёмный

विष्णुसहस्रनाम अर्थ व विवरण: भाग ४६ - श्लोक क्र. ५५, प्रस्तुति - सौ. अपर्णा शंकर अभ्यंकर 

aditya pratishthan
Подписаться 61 тыс.
Просмотров 1,8 тыс.
50% 1

Vishnusahasranaama Artha va Vivaran: Part 46 - Shloka or Verse No 55 by Aparna Shankar Abhyankar | विष्णुसहस्रनाम अर्थ व विवरण: भाग ४६- श्लोक क्र. ५५, प्रस्तुति - सौ. अपर्णा शंकर अभ्यंकर
व्यवसायो व्यवस्थानः संस्थानः स्थानदो ध्रुवः ।
परर्द्धिः परमस्पष्टस्तुष्टः पुष्टः शुभेक्षणः ॥
॥ ५५॥
------------------------------------------------------------------------------------------------
एकादशी नव्हे व्रत । वैकुंठीचा महापंथ ।
परी रुक्मांगद ऐसा । व्हावा निश्चय ॥
एकादशी उपोषणे । विष्णुलोकी ठाव घेणे ।
रामी रामदास म्हणे । काय प्रत्यक्ष प्रमाण ॥
व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन |
बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम् ||
॥ भ.गी.२-४१॥
यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ |
समदु:खसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते ||
॥ भ.गी.२-१५॥

Опубликовано:

 

15 окт 2024

Поделиться:

Ссылка:

Скачать:

Готовим ссылку...

Добавить в:

Мой плейлист
Посмотреть позже
Комментарии : 2   
Далее
Wildest 10 SECONDS OF HIS LIFE 🤯 @TomIsted
00:14
Просмотров 1,4 млн
Vishnu Sahasranamam
29:46
Просмотров 29 млн
Bhaja Govindam / Moha Mudgaram With Lyrics and Meaning
16:31