Ek dam sahi bole inhone dharm brasht kiya sath hi kuldevio ko b isliye unki kripa chali gyi aisa kehte hai .. Shikar karna koi veerta ki nishani nhi hai ..
हुक्म कोन से शास्त्र में लिखा है राजपूत मांस ओर मद्यपान का सेवन किया बुरा मत मानना एक बात बता रहा हूं सुनो जब से शुद्व रक्त क्षत्रिय में एक कुरीति प्रचलित हुई है मांस ओर शराब तब से हमारी कुलदेवी ओर कुलदेव हमसे रूष्ट हो गए जो सत्य हे
बहुत पुराना नाता है ये भी बता देते साहब़ कि मोकल जी़ के घर शेख बुरहान चिश्ती कि कृपा से बुढापे में वारिश पैदा होने पर**ढोल तासे बजे थे लढढू बंटे थे**? वाकई गजब़ की यारियां निभाई है राजपूताना के वीर राजपूतो नें***मुगल पठानो तुर्को से/*/ *** उन यारियों का ही तो कमाल़ है जो भारत मां का भाग्य आज़ हर तरफ से प्रकाशित हो रहा है***?
समय समय की बात है, वीर बांकुरे बहादुरों की पीढियों के बहुत से लोग रोजगार के लिए आज सिक्योरिटी गार्ड बनकर सैल्यूट मार रहे। लेकिन धन्य हैं वे कि अपनी पुरानी आन बान,परम्पराओं और ठसक को वे आज भी कायम रखे हुए हैं।
Jai laxmi nath ki hkm. Me me cmnt kr baa wala ne arz kru. History sikh lene ke liye h. Glt ka tyaag sahi ka chunav. Baa hi baat h tabar bache ko khilona na diyo to kuch pal ya kuch din royega. Aur Shansakar nahi diya to jivan bhar royega. Jiyo ithihas sabak aur sikh ke liye jyda imp h.
ये क्या बात हुई , पठानों को तो बिन मांगे ही सब कुछ मिल गया, शेखावतों की नोकरी, भोजन पानी, 12 जागीर, सुअर की रक्षा, कहानी अधूरी है या क्या है , अगर बिल्कुल ऐसा ही हुआ, तो कोई अच्छी बात नही हुई।
Hum Gwalior(Madhya Pradesh) ke Kushwah Rajput hai. Aur hamare yaha zyadatar Kushwah vegetarian hai. Gwalior ke Kushwah Rajputo ki ek shakha hi Rajasthan gai aur Shekhawat unn me se hi ek hai.
Bhai in chutiyo ko samjhana muskil h kachhavaha suar isliye nhi khate kyuki wo ek varah h nd varah was the avatar of lord vishnu .. or bahut se kachhavaha mostly jo baghi the wo aaj b vegetarian hai inki tarah dharm brasht krke nhi baithe yh rajasthan kya gye dharm hi kho baithe aur chode hokr to aise bta rhe h ki pathanon ko halal maas serve krke kaunse teer chalaye h shame on them
हिन्दू धर्म के कोई भी जाति हो उसे ना मांस खाना चाहिए ना शराब पीना चाहिए क्यों की ये सब बर्बादी की पहली सीढ़ी है जो बर्बादी की तरफ जाती है जय माँ भावानी जय राजपुताना
महोदय ,क्षत्रिय शिरोमणि महाराणा प्रताप और अदभुत वीर महाराज पृथ्वीराज चौहान पूर्णतः शाकाहारी थे। क्षत्रियों को सर्वप्रथम मुगलों ने व कालांतर मे अंग्रेजों ने मांस भक्षण और मदिरापान सिखाया।जब से यह नैतिक पतन हुआ तभी से क्षत्रियों का नैतिक ,धार्मिक व सामाजिक पतन शुरु हो गया। इसलिए महोदय आप से विनम्र आग्रह है कि मांसाहार अथवा मदिरापान जैसी हिन्दू धर्म मे निषेधात्मक अवगुणों को महिमामंडित न करने की कृपा करें।मर्यादा और धर्म की रक्षा करना ही क्षत्रिय धर्म होता है।क्षत्रिय स्वाभिमान के आगे प्राण और भौतिक सुख गौण होते थे। यही स्वाभिमान ही सबसे बड़ा आभूषण होता है। मै स्वयं सिसोदिया वंश से हूं। धन्यवाद !
Bhupendra Singh सही फ़रमाया होकम किसी भी राजग्रंथ में मांसाहार का नाम नही मिलता और ये सब अपनी शान बनाने और तुले है मेवाड़ में तो अभी भी मना है मैं जिस गांव से हु यहाँ आज भी प्रतिबन्ध है होकम मांस और दारू पर
Bhai galat bat ni Maharana Meat khate the Rajputo ki parampara h jhatka mass ki ye hm chauhsn ni tod sakte Meat k bina hmara ns gujara khas pos sara din ni khaya jata bhai Jai Rajputana
आपके अधूरे ज्ञान की वजह से लोग ब्रहमीत हो सकते हे,ऐसा किसी भी जगह वर्णन नहीं मिलता की शेखावत राजपूतों को जंगली सूअर का मांस नहीं खाना चाहिए,दरअसल शेखाजी की सेना में पन्नी पठान भी थे ओर एक ही रसोड़ा था जिसमे पाठनों का ओर राजपूतों का खाना बनता था, लेकिन शेखाजी ने पाठनों को किसभी हिन्दू धार्मिक जानवर को खाने के लिए मना किया साथ ही उस रसोवड़े में सूअर के मांस को भी बंद किया था ताकि मुस्लिम पाठनों की भवनाओ को ठेस ना पहुंचेंगे. जबकि उसी रसोड़े में राजपूतों के लिए झटके का जबकि मुस्लिमो के लिए हलाल मांस बनता था. किसी राजपूत को हलाल नहीं खाना चाहिए क्योंकी इससे माँ जगदम्बा का अपमान होता हे ओर रही बात जंगली सूअर की तो उसे हर राजपूत खा सकता हे. जय माताजी की जय गोपीनाथ जी की जय रघुनाथ जी की
JAB SE RAJPUTO NE MEAT KHANA SURU KIYA TAB SE BUDDI BHRAST HO GAYI .... RANA SANGA MAHARANA PRATAP NE YE KAAM KABHI NHI KIYA ........... ALA UDAL PRATWIRAJ K BAARE ME BHI NHI LIKHA .. HAMARE UP SE HI SABHI JAGAH GYE .... HARSHWARDHAN ASOKA CHANDRAGUPTA MORA .. TYAGI BLIDAANI THE NA KI SAR JHUKANE WALE ... AT PRESENT ADITYA NATH YOGI .. .......
मेरे हिसाब से तो किसी भी जानवर का मीट नहीं खाना चाहिए नहीं शराब पीने चाहिए नए घर में कोई लड़ाई झगड़ा करना चाहिए इतिहास के साथ खड़े होना चाहिए एकता के साथ खड़ा होना चाहिए जय श्री राम
यह क्या बात हुई कि हलाल का माँस राजपूत के घर की रसोई में बनता था राजपूत वचन तो देता था पर ऐसी फालतू प्रतिगया नही करता था आज भी राजपूत दावत में आए मुस्लिम को अलग से बकरा देते और उसका कटाव भी अपने घर पर नहीं करने देते फिर ऐसा कैसे हो सकता है राव शेखाजी अपनी रसोई के यहा हलाल का माँस बनवा ते
Isi galat vichar dhara ke chalte galat pratigya o ka anusaran karke hindu ne khud ka sarv nash kar liya ...... . . Bat to ye honi chahiye thi ki "tum Mor ka shikar nahi karoge .... baaaas" aur hum suvar khana kyo chode ... wo pathan hamare yaha aaye the hum unke yaha nahi gaye the..... hamari dharti hamara shasan...
Bhai Rajputo me Meat khane ki parampara hazaro sale se h jb khtarank sukaro ki abadi bad jati thi to rajput logo ko bachane k liye Inka sikar karte the Meat ko Rajputo ko kbhi ni chodna chsiye aj kal dudh dahi milavati vo physic body ni bnti veg se meat jaruri h Rajputo k liye Jai Rajput ekta
सुअर ही नहीं किसी भी जानवर का मास नहीं खाना चाहिए, जानवर का मास खाने वाला इंसान भी जानवर ही है क्यू की एक जानवर का मास एक जानवर ही खाता है, ओर भगवान ने इंसान सबसे अलग बनाया है जो शाकाहार भोजन को पका कर खाता है
Nhi inka naam Shesh Naag ke upper rkha tha inki kundli Laxman ji se bahut milti thi isliye inka naam Shesh rkh diya kyunki Laxman ji unhi ke avtaar the uss samay Rajasthan mai kadhi boli mai श ko ख bolte the isiliye Shekha ho gya
Bhai sa ek baat batau apko aap pahle hamesha Jai Bhawani maa Fir jai Rajputana Bola karo Maa Bhawani hamari maa rupen shakti h Pahle unki jai Yaad rakhna hamesha.
Me bhi Lakhani Shekhawat hu Lekin meine to kabhi maans nahi khaya konse ved me Ramayan me Mahabharat me Kha likha hua h ki rajputo ko maans khana chahiye or jo aaj rajputo ka Patan ka ek important role Raha h maans or daru please esi post na Dale
Umesh Meena जब राजा दशरथ जंगल शिकार खेलने गए थे तब उनकी मुलाकात कैकई हुई थी राजा दशरथ जी तो बड़े ही शोंक के साथ शिकार करते थे जब शिकार शोंक से करते थे तो शिकार किये गए जानवर को फेंकते तो होंगे नहीं क्युकी यह तो पागलपन है जो की राजा के सिंघासन पर बेठने का हक़ किसी पागल को प्रजा कभी भी नहीं देगी इससे साबित होता है के दशरथ जी भी मांस खाते थे मै खुद एक राजपूत छत्रिय परिवार में पेदा हुवा हूँ और हमरा khandan सदियों से आज तक मांस khata आ raha है कहते है वह छत्रिय ही नहीं जो शिकार ना खेले शिकार जब खेलेंगे तो मांस तो जरुर ही खायेंगे
Umesh Meena श्रवण कुमार अपने माता पिता को तीर्थ कराने के लिए ले जाते हैं। इस दौरान राजा दशरथ जंगल में शिकार के लिए निकले थे। तभी अपने माता-पिता को विश्राम करने के लिए छोड़ देते हैं और स्वयं पानी लेने चले जाते हैं। नदी से पानी लेने के दौरान कुछ आवास सुनाई दी राजा दशरथ ने सोंचा कि कोई जानवर पानी पी रहा है और उन्होंने तीर छोड़ दिया। वह तीर श्रवण कुमार को जा लगा जिससे उनकी मृत्यु हो गई। पुत्र की मृत्यु की सूचना मिलते ही वृद्ध माता-पिता विचलित हो उठे और क्रोध में राजा दशरथ को पुत्र वियोग का श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि जैसे मैं पुत्र की पीड़ा में बिलख रहा हूं, ऐसे ही तुम भी पुत्र वियोग में प्राण त्यागोगे
Umesh Meena agar tune Ramayana padi hogi to tujhe bhi Yaad hoga jb RAJA dasrat sikar khelne gaye the to sarwan Kumar ko teer lag gaya tha wo Jisse RAJA dasrat ko ko srap bhi laga tha Ab koi maha purush jeev ki hatya karega to uske maas ko feke ga nhi ok
Isi galat vichar dhara ke chalte galat pratigya o ka anusaran karke hindu ne khud ka sarv nash kar liya ...... . . Bat to ye honi chahiye thi ki "tum Mor ka shikar nahi karoge .... baaaas" aur hum suvar khana kyo chode ... wo pathan hamare yaha aaye the hum unke yaha nahi gaye the..... hamari dharti hamara shasan...