माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड नियमावली में जैसी सेवा सुरक्षा दी गई है,उसी प्रकार नये शिक्षा सेवा आयोग में भी सेवा सुरक्षा की व्यवस्था करने के लिए सभी संगठनों को एक साथ सामूहिक संघर्ष किया जाना चाहिए।
समस्या ये भी है कि सर आप जानकारी दे रहे है लेकिन विभिन्न शिक्षक संगठन तो इस विषय पर चुप्पी साधे है उनकी 76 मांगों में से एक भी मांग ये नही है की सेवा सुरक्षा बहाल की जाए । आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने इतनी महत्वपूर्ण जानकारी हमारे साथ साझा की । उम्मीद है आप इसका कोई हल भी निकालेंगे।
शिक्षकों के लिए आप जिस तरह से प्रमाणिक जानकारियां उपलब्ध कराते हैं। प्रबंध तंत्र व सरकार के विरुद्ध शिक्षक हित में आवाज उठाते हैं उस जज्बे को मैं सलाम करता हूं।
हम तो शिक्षक भी नही लेकिन हम टीजीटी पीजीटी तैयारी करने वाले एक अभ्यर्थी हैं,हम चाहते है कि सेवा सुरक्षा की धारा जुड़ना चाहिए क्योंकि एक अभ्यर्थी बहुत कठिन परिश्रम और बहुत समय बाद आयोग से चयनित होकर आता हैं लेकिन उसकी सेवा की कोई सुरक्षा ही नही।।सभी शिक्षक संघ और खासकर एमएलसी शिक्षको को प्रयास करना चाहिए कि शिक्षको की सेवा सुरक्षा होनी चाहिये।।
धारा 21 जैसे नियम जोड़ने के लिये सभी शिक्षकों को आन्दोलन करना चाहिये । ये आन्दोलन अभी सोशल मीडिया पर और शीतकालीन अवकाश और ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान सड़को पर होना चाहिये।
भाई मुझे तो पुराने पेंशन से बड़ी समस्या इसी की लगती है।मुझे तो पुरानी पेंशन भले ही न दें,पर यह सुरक्षा जरूर दें।यह हमारे लिए प्राथमिकता का विषय है।का विषय है।
धारा 21 जैसी सेवा सुरक्षा शिक्षा सेवा आयोग की नियमावली में भी होना चाहिए। इसके लिए सभी शिक्षक संगठनों को आपसी मतभेद किनारे कर शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के लिए एक साथ संघर्ष करना चाहिए।
धारा 21जैसी व्यवस्था पुनः लागू की जाए अन्यथा इसके नही होने के परिणाम शिक्षक विरोधी ही होंगे। भविष्य के शिक्षक बंधुवा मजदूर से बदतर हो जायेंगे बहुतेरे अपनी मेहनत से प्राप्त वेतन का ज्यादा बड़ा हिस्सा प्रबंधकों को खुश करने या फिर दलालों को खुश करने में लगाते हुवे दिखाई पड़ेंगे
धारा-21 का हटाया जाना अति संवेदनशील मुद्दा है इस पर सभी शिक्षक साथियों को तत्काल मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए….वरना फिर पछताये क्या जब चिड़िया चुग जाये खेत??