"आग गर्म है, जल शीतल है, वायु मे स्पर्श है, यह सब किसने रचा है ? मोर को चित्रित कौन करता है? कोयल को मधुर स्वर कौन प्रदान करता है? स्वभाव से ही कांटों में तीक्ष्ण ता है, पशु पक्षियों में विचित्रता है । ईख में माधुर्य है, और नीम में कटुता है। यह सब स्वभावत होता है, इनके कर्ता के रूप में ईश्वर को मानना व्यर्थ है।" _ चार्वाक दर्शन
Tujhe paida kisne kiya tha? Kya tu asman se tapka he ya jamin fad k agaya he? Agar tere jesa nich prani ka bap he toh itna bada sansar kese aywen banjayega?koi toh banane wala hoga? Itti si bat tum charbakiyon k dimag me ghusta kyun nehi?
नास्तिक लोग हिम्मती, निष्पक्ष और तार्किक होने के कारण भक्तों को पसंद नहीं होते है। धार्मिक होने के कारण भक्तों की बुद्धि सीमित होती है अंत में थेथरोलॉजी पर उतर जाते हैं। nice video👍
Okay what about aham brahmasmi and aham shivhum, means I'm the devine myself and I'm part of the devine 🤣🤣🤣. Abusing Hinduism and our rich history,heritage and ancestor's sacrifice and values bro you suffer from Stockholm syndrome🤣🤣🤣
When I see that this video has 50, 984 views and only 172 dislikes, I feel very optimistic. Especially that your channel has 100, 000 subscribers, there is still hope for India. All the best!
बहुत हीं सारगर्भित और ज्ञानबर्धक। धर्म न सिर्फ नास्तिकों से नफरत करता है बल्कि मानव समाज में तमाम खामियों, कमियों और मूढ़ता की वजह भी धर्मों का मकड़जाल हीं है।
Sabse juada bewakuf hote hai nastic.kyon ki nastiko me iswar jaise vishay ko samjhne kshamta nhi hoti hoti v hai to purvagrahai hote ho tum log.tum logo ke man me sach ko swikar karne ki himmat nhi hoti .
आप का हर विडियो हमें बहुत अच्छा लगता है जितने तारीफ करें। वह कम। ही होगा और आप के वीडियो से। हम बहुत खुश हैं और ज्यादा क्या लिखूं जय भीम जय भारत जय संबिधान नमो बुदधाय
@Abhi Jeet apke prashno ke uttar 1) Baudh dhamma ki granth hai tripitaka jisme sutta pitak , abhidhamma pitak aur binay pitak ata hai. Buddha ne jiwan me dukkha se mukti ya nirban pane ke lie astangik marg ke bare me baat kia . Isme atmanirbhar sabd ka koi ullekh nahi hai. Aur Buddhist darshan me atma ya self ka koi ullekh hi nahi hai. Kripaya ap pahle tripitaka parhe 2) Buddhism ek nastik badi dhamma hai ...aur iske prachar aur prasar ke lie schools , sangha aur bihar mahatwa rakhta hai. Jaise kisi bhi darshan ya philosophy ke followers ek sangathan ya organization banate hai. Communist darshan manne wale communist party banate hai Capitalism ko manne wale liberal ya libertarians party banate hai Vedic darshan ko manne wale Arya Samaj ke ansh hai 3)Nirban jiban kal me bhi ho sakta hai uske lie sanatan dharma jaise mrityu aur uske baad atma ke sarir se mukti ka koi zaroorat nahi hai. Nirban dukkha se mukti hai , jiban se nahi . Aur punarjanma jataka ke kisi kahani me likha gaya hai . Aur jataka ke kahani mangarant hai aur kalpanik hai ye buddh vikshukh khud batate hai ki usme biswas na kare , wo sirf siksha dene ke lie hai , jaise panchtantra man garant hai parantu sikha ke lie likha gaya hai. Aur Tripitaka kabhi bhi punarjanm ke waare me baat nahi karta hai. Kuch therevadi buddhist mante hai , baki buddhist japan aur Taiwan ya Thailand wale nahi mante hai. 4) Whatsapp university se parke baat mat kijie . Ap tripitaka ke koi bhi book download karke par sakte hai . Jain aur Ajibika ko marne wala bat Ashoka karta tha , aur historian RC Majumdar ne ye bhi kaha hai ki Ashoka ka buddhism nahi mahayan nahi therevada tha. Usne budhhism ko as a political tool use kia , iska samalochana ya criticism hum sab karte hai. Lekin Buddhist texts like Tripitaka and jataka kabhi hatya ka bat nahi karta. Jain aur Ajivika ko sraman ke ansh hi mana gaya hai . 5) Baudh dhamma ke Bihar me arth ka dan kia jata tha vikshukon aur garib insano ko . Ap japan , Taiwan aur Thailand jaise developed nation me jaye jaha pe Buddhism dominant hai to aj bhi apko ye dekhne milega ki kitne homeless people ko shelter dena unki healthcare insurance aur education Buddhist bihar khud pay karta hai. Aur Bharat me harshavardhan ke smay pe bhi garib bhikshuko ko madat kia jata tha buddha bihar se . 6) kisi bhi tradition me corruption ya durniti ata hai , budhhism me bhi hai. Aur wo buddhist swikar bhi karte hai ki uske darshan aur karm me bhi trooti hai , aj bhi. World Buddhist Conference me aj bhi self criticism kia jata hai ,pehle women ya stree monk nahi ban sakte the , aj ban sakte hai . Buddhism is evolving and modernizing it self with time . Aur bhi modernization hoga . Science Journey bhi ye kahta hai ki corruption Buddhism aur Jainism me bhi hai lekin kam . Asia me sabse amir aur successful community aur corporates aj bhi Buddhist family se hai 1) Shimazu 2) Hitachi 3) Mitsubishi 4 ) Toshiba from japan 1) Asus 2) Acer from Taiwan 1) Samsung 2) Hyundai from South Korea Ye sab corporate families buddhist hai jaha pe Tathagata ne dhan ki asha se mukt hone ke lie kaha tha . To corruption har philosophy me hai lekin aj bhi Buddhhist aur jainism humanism se karib hai
आपका चैनल बहुत अच्छा है मैं चार्वाक दर्शन सिद्धांत को मानता हूं यही ठीक है लोगों को और समाज को वेद और पुराणों ने इस कदर डराया जैसे शेर हंनटर से डर कर शरकस में काम करने पर मजबुर हो जाता है कुछ धर्म के ठेकेदारों ने समाज का पूर्ण रूप से शोषण किया और समाज को गर्त में धकेल दिया अपने क्षणिक सुख के लिए ऐसे वेदों और पुराणों का पुरजोर से खंडण करना चाहिए और ऐसे शास्त्रों पर छपने पर पाबंदी लगाई जाये ताकि बच्चों को इस भय से मुक्ति मिल सकें और उसकी बुद्धि का विकास किया जा सके और आधुनिक युग का विकास तेजी से हो सकें 🌹🌹🌹🙏🙏🙏
आपके द्वारा दिया गया सबूत अस्तिको को हिला कर रख देता है। मैं भी इनी सबूत से लोगों से बहस करता हूं तो उनकी बोलती बंद हो जाती है। बहुत बहुत आभार प्रकट करता हूं।
लोग कहते है कि सभी जीवों में आत्मा होती है,,,तो कचरे में कीड़े पनपते हैं तो क्या कीड़ों में भी आत्मा है,,,😁😁😁,,,,जय विज्ञान,,,मै आस्तिक था,,और इन्हीं धार्मिक कहानी और किताबों की कहानी पढ़कर ही नास्तिकता की और जा रहा हूँ,,,
Vijay Prakash Singh ji ने क्या शानदार लिखा है: ■ आप लंगोट से जौकी पर आ गये...पायजामे से पतलून पर आ गये...नाड़े से बेल्ट पर आ गये...खड़ाऊँ से बूट पर आ गये...कलम से कीबोर्ड पर आ गये। पगडंडियों से एक्सप्रेस वे पर आ गये...चूल्हे से इंडक्शन कुकर पर आ गये...जंगलो से अपार्टमेंट तक आ गये। हल से ट्रैक्टर पर आ गये...पैदल से लक्ज़री जहाज़ों पर आ गये...दीये-मशाल से एलईडी पर आ गये...आप लैंडलाइन से ओरियो एंड्रॉयड तक आ गये...तीर-कमान और गदा से ऑटोमैटिक बंदूकों और मिसाइलों पर आ गये। दुनियां चाँद पे चली गई...मंगल की छाती पर नासा ने रोबोट उतार दिया....शनि मंगल सूर्यग्रहण- चन्द्रग्रहण के हर रहस्य से पर्दा उठ गया ! आप पाँच हज़ार ईसापूर्व और पाँचवी-छठवीं शताब्दी से इक्कीसवी शताब्दी में आ गये...आप लगातार अपडेट होते रहे हैं !!! मगर फिर भी तुम ग्रह नक्षत्रों को...शनि मंगल को जन्मकुंडली में देख -देख कर काँप रहे हो। अपना भविष्य सुधारने के लिए बाबा बाबियों का रास्ता नाप रहे हो। क्या इसी दिन के लिए तुमने बीएससी एमएससी पीएचडी की थी की तुम पढ़ेलिखे जाहिलों की फौज में शामिल हो जाओ! क्या इसी दिन के लिए तुम डॉक्टर इंजीनियर वकील - मजिस्ट्रेट या प्रोफेसर बने थे ? कि बंगले पर काली हांडी टांगना ! निम्बू मिर्ची टांगना ! नजर न लगने से एक पैर में काला धागा बांधना ?? और अपने उज्ज्वल भविष्य की भीख किसी बाबा बाबी के दर पर नाक रगड़ के मांगना ? देश आजाद हो गया ! दुनिया आजाद हो गई ! आखिर कब मिलेगी तुम्हें आजादी ?? इस अंधी मानसिक गुलामी से ? दुनिया रोज नए - नए आविष्कार कर रही है ! तुम हजारों साल पुरानी भाषा संस्कृति रीति रिवाजो की वैज्ञानिक व्याख्या करने में लगे हो ! क्या भारत पुनः विश्व गुरु तुम्हारे जैसे मनोरोगियों की वजह से कभी बन पाएगा ? तुम्हारी समस्याएं लौकिक है। मगर तुम्हें हर समस्या का हल परलोक में नजर आता है ! संसार तुम्हारे लिए स्वप्नवत् है माया है ! भगवान की लीला है ! नाटक है ! भ्रम है ! आखिर तुम्हें इस सपने से कौन जगाए ? कब तक शब्दों के साथ बलात्कार करोगे ? कब तक धोखे में रहोगे ? कब तक हर सिद्धान्त हर आविष्कार को शास्त्रों ऋषि मुनियों के माथे मड़ोगे ?? तुम लोग को जो जगाए वही धर्मद्रोही देशद्रोही जातिवादी या नास्तिक है ? चारुवाक, बुद्ध, महावीर, कपिल, कणाद गौतम, नागसेन, अश्वघोष, कबीर, नानक, रविदास, ओशो, फुले, शाहू, पेरियार, भीम, भगतसिंह, कोवूर, राहुल, दयानन्द, विवेकानंद, सबने विवेक लगाया ! मगर फिर भी तुम्हारा विवेक नहीं जागा ! तुम्हारा धर्म कब अपडेट होगा ? तुम्हारी आस्था कब अपडेट होगी ? तुम्हारा ईश्वर कब अपडेट होगा ? तुम्हारी सोच कब अपडेट होगी ? तुम्हारे धर्म की किताबें कब अपडेट होंगी ? क्योंकि तुम विश्वगुरु के अहंकार की दारू पीकर गरीबी अनपढ़ता लिंगभेद जातिभेद भाषाभेद क्षेत्रभेद साम्प्रदायिकता की नाली में पड़े हो ! आखिर तुम्हें कब मिलेगी आजादी ? इस उम्दा मानसिक गुलामी से ?
बिल्कुल सही कहा आपने ।।।हम भारत में फैले हुई ब्राह्मणवाद को खत्म करने की बात करते हैं।।।लेकिन अपने ही घर आसपास के लोग फसे हैं ये सबसे जादे मुश्किल समझाना
And Dr Ambedkar criticized islam and Christianity also for superstitious,not being scientific parallel and anti feminine,full with caste discrimination like shia, sunni, catholic, protestant, from non-believer infidels etc and bhuddhism was originated in India from Hinduism only and reflects Indian culture and heritage and speaks on concept like karma and dharma similar to lord Krishna's philosophy in Hinduism, that's why he adopted Buddhism and became a Buddhist monk in old age and buddha was a hindu kshatriya prince,an extremely trained warrior in martial arts,yoga, wrestling, sword fighting and archery,he married his wife in a swayamwara, exhibiting his archery and horse riding skills like Arjuna from Mahabharata,he was one of the most strongest person in physical and mental strength and patience,he even turned a decoit unglimar as his deciple and guilty for his past sins without any violence👌👌 👌
एकदम सही विश्लेषण. तर्कशुद्ध विचार करने की क्षमता विकसित न होने के कारण बहुतांश लोग धार्मिक मायाजाल में फँसकर अपना तथा समाज का भारी नुकसान करतें है. आप ऐसे व्हिडिओ बनाकर विज्ञान का प्रसार करने का महान कार्य कर रहे हो . मेरी तरफ से सक्रिय शुभेच्छा.
धर्म के डर से लोग कंट्रोल में रहते हैं। इसमें पाप पुन्य स्वर्ग नर्क जिंनत दोजख 84 लाख योनि आत्मा परमात्मा करनी वेसी भरनी कयामत धर्म कर्म। जेसा अनेक डर दिखाकर मानव जाति को कंट्रोल मैं रखने के लिए भरपूर कोशिश की गई है। परंतु घर्म के ठेकेदारों ने मानव जाति और प्राणी जाती का सत्यानाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है मेरा मानना है कि अगर दुनिया में कोई धर्म से इतना लाभ हुआ है इनसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
I also believe in humanity. No religion. Had Charvak philosophy allowed to prosper, India must have been an advanced country in science and technology centuries ago when world humanity was in ignorant age. By now we would have been living on another planet.
मुक्त हो अंधबिश्वास घोट दो पाखंड की श्वास, जगाओ बिज्ञान की सोच | समाज हो तर्कशील मानवता हो सबके दिल, भगाओ सारे मानसिक दोष || न हो नाम की धर्म सदा हो सद्कर्म, जरुरी नहीं कोई उपासना | पढ़ो न धर्म ग्रन्थ भरा काल्पनिक और भ्रांत , करो बिज्ञान की आलोचना || Jay Bhim
संसार में जितने भी धर्म हैं, सबके सब ईश्वरवादी हैं; केवल तथागत के विचार 'कारण है तो निवारण भी. केवल एक नास्तिक से ही सब आस्तिकों की बाजार चल रही है. प्रश्न सही हो, तो उत्तर आसानी से मिलेगा ; प्रश्न गलत हो तो भ्रम पैदा होता है. "क्या कारण है? " आस्तिक - नास्तिक की बातों में हम उलझ रहे हैं??? कृपया अगला वीडियो दूसरा भेजें. बहुत अच्छा लगा.
Loved, Jai Bhim I greatly appreciate all the hard work that 'Science Journey' and its team have done. We are all behind you and encourage you to keep up the good work. Only a scientific approach can make our country developed and our world prosperous. I have a great amount of respect for the 'Science Journey' team. "The scientific temperament is not only a matter of acquiring certain ways of thinking, but also of certain ways of feeling and acting." - Dr Bhimrao
Video me bahut hi achha vishay liya gaya hai usse bhi achha samjhya gaya hai isse bekti ko bahut kuchh sikhne ko milega Jay science journey Jay bharat 🙏
And Dr Ambedkar criticized islam and Christianity also for superstitious,not being scientific parallel and anti feminine,full with caste discrimination like shia, sunni, catholic, protestant, from non-believer infidels etc and bhuddhism was originated in India from Hinduism only and reflects Indian culture and heritage and speaks on concept like karma and dharma similar to lord Krishna's philosophy in Hinduism, that's why he adopted Buddhism and became a Buddhist monk in old age and buddha was a hindu kshatriya prince,an extremely trained warrior in martial arts,yoga, wrestling, sword fighting and archery,he married his wife in a swayamwara, exhibiting his archery and horse riding skills like Arjuna from Mahabharata,he was one of the most strongest person in physical and mental strength and patience,he even turned a decoit unglimar as his deciple and guilty for his past sins without any violence👌👌 👌
Excellent video. But there is one thing which I beg to differ. Sikhism does believe in God. Like Islam it believes in one God & not in idol worship. Sikhism also believes in rebirth & not in animal sacrifice.
वाह क्या कमाल का विश्लेषण किया है आपने सही और गलत का तथाकथित धर्म की बातों और किताबों में आप गलत और सही को अच्छे से बाहर निकाल रहे हैं और लोगों का श्रेष्ठ मार्गदर्शन कर रहे हैं
अंधविश्वास, पाखंड, जातिवाद, भेदभाव, छुआछूत, ऊंच-नीच के खिलाफ जंग जारी रहेगी।जयधर्मनिरपेक्ष जय नास्तिक जय विज्ञान जयभीम नमो बुद्धाय जय अशोक सम्राट जय पेरियार स्वामी। जय भारत जय संविधान जय लोकतंत्र जय न्यायालय 🙏
अगर ईश्वर हमारे कर्मो को लिख रहा है तो वो अकेला तो लिख नही सकता क्योंकि एक आदमी के कर्मों का लेखा जोखा रखने जे लिए कम से कम एक आदमी चाहिए।अगर विश्व की आबादी 6अरब माने तो अरब आदमी इस काम पर लगे होंगे ये तो काफी बड़ा विभाग होगा।,,😇😇😇
Mai devi devta bhagwan ka darbari tha 😂😂😂😂😂 ganja daru p k khud nali p pade rahte hai nange -2 mere ko bolta hai mujhe(bhagwan) devta ko jute se ragad aur nirma lag k Nahla do deviyo ko dove se mat nahlana nahi to khatam ho jayega maine bola me tere darbar me kaam karta hu teri manwali nahi karne aaya bevdo ,chal teri nokri tu rkh mai chala 😂😂😂😂😂😂😂
I would like to thanks you from my core of heart . Your video has proved the truth very scientifically with justification' .iwish you will have a lot of majority with you.Namo Budhaya
चार्वाक दर्शन का वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी आया है। इसकारण ये लोकायत दर्शन उस समय जरूर था। यह कोई संगठित दर्शन नहीं था। आज की तरह उस समय भी सामान्य तौर पर नास्तिक पाये जाते थे जिन्हें लोकायत या चार्वाक कहा जाता था।
@B. nakvi ईश्वर को नहीं मानने के पक्ष मे उसका प्रामाणिक सुत्र बताओ। हम उसके प्रामाणिक ग्रंथों के अनुसार बोल रहे हैं। BHU ने यूँ ही नहीं बुलाया था २०१३ में। Charvaka Indian thought... in the blog akshaygroundreality.blogspot.com
@@augustglobe6621 मानव पशु से मानव बनने की प्रक्रिया मानवता की ओर ले जाती है। इसमें व्यवहारिक संतुलन की जरूरत है जो चार्वाक, जैन तथा बौद्ध दर्शन भी सिखाता है। न्यूनाधिक नास्तिक सभी है - विडियो सुनें । स्वधर्म या व्यवहार सुधरने के बाद आध्यात्मिक पथ पर चलते हुए आने वाली बाधाओं का विश्लेषण ठीक से हो पाता है। केवल बडी बातें बनाने या कुतर्क करने से मानवता सिद्ध नहीं हो सकती। वह जीवन में घटित होनी चाहिए। आप स्वस्थ चिंतन हेतु अपने ज्ञान चक्षु खोलने का प्रयास करें नहीं तो भ्रम बना रहेगा। जैसे खानपान पर गीता का नाम लेकर अपनी दाल गलाना। अन्दरूनी समझ हुए बिना समाज में कलह बढ गयी है।
ऋणं वाली बात चार्वाक की ही है पर उसका लाक्षणिक अर्थ समझ लें और संगति लगा लें। उसके प्रामाणिक सूत्रों पर आधारित विडियो चार्वाक नामक प्लेलिस्ट हमारे चैनल में है। चार्वाक मैनेजमेंट पुस्तक अमेजन में।
बिलकुल सार आप सत्यमार्ग की खोज की। प्रणाम सार। भारत देश में हर insan खुद डिसैड करे। शरीर का ऊपर जो आदमी धागा डालता है उसको बेद कर्म काण्ड चाहिए। वाकी समाज केलिए नेही है
जो दिखता नहीं उसे नहीं मानन ना.... हवा नहीं दिखती फिर भी हे... भूख नहीं दिखती फिर हैं... प्यास नहीं दिखाई देती फिर भी हे.... प्यार नहीं दिखाई देता फिर भी होता है... दुख दिखाई नहीं देता फिर भी होता है... चार्वाक आज नहीं दिखाई देते फिरभी कभी तो कहीं तो थे... और उनके विचार से दिखाई देते हैं... वेसे ही bhagvan दिखाई नहीं दे रहे मगर वो हे....
Real mean नित्य-नियमित-निरन्तर हर क्षण टाॅप अभिनव-एडवांस-अपडेट पूर्ण सही ( perfect ) हर एक सुरक्षा-शान्ति-खुशहाली, Fake mean हर तरफ बर्बादी-विनाश-सर्वनाश की शुरुआत-वृद्धि-विस्तार,
संविधान निर्माताओं को अल्पसंख्यक आयोग गठन की जरूरत नहीं महसूस हुई. राजनीति को इसकी जरूरत थी, सो सरकार ने 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का कानून पारित करवाया. इस कानून में भी अल्पसंख्यक की मजेदार परिभाषा है- अल्पसंख्यक वह समुदाय है जो केंद्रीय सरकार अधिसूचित करे. अर्थात अल्पसंख्यक घोषित करने का अधिकार सरकार ने खुद अपने हाथ में ले लिया. किसी जाति समूह को अनुसूचित जाति या जनजाति घोषित करने की विधि (अनु. 341 व 342) बड़ी जटिल है. यह काम संसद ही कर सकती है
आर्य समाजियो से ये पूछना चाहिए कि वेदों में बलि प्रथा का वर्णन क्यो है??इन् वैदिकों को सफाई देने के बजाए इनके वेदो में से ही सवाल ढूँढ कर जवाब मांगने चाहिए।