Mera manna hai sirf suno ..agar Zara b samja aur feel kiya to aap gaye kaam se ..door raho is se agar life se life chahite ho ,warna wakt theharte aise kalaam..uff heart wrenching
Hr koi apni tarha sa suchta hai, yahi to kalam ki khobsorati hai, Mien isko kisi ka liya nai bulka apna Liya sunta hn Jesa mein khud sa hi kaha rha hn yeh sub
हिंदी में मतलब/भावार्थ: दिल ही तो है! न संगो-ख़िश्त! संगो-ख़िश्त = संग (=पत्थर) + व (=और) + ख़िश्त (=ईंट) = पत्थर और ईंट (= ईंट-पत्थर) दिल ही तो है! न संगो-ख़िश्त! दर्द से भर न आए क्यूँ?! रोएँगे हम हज़ार बार… कोई हमें सताए क्यूँ?! भावार्थ: (मेरा दिल आख़िर) दिल ही तो है! कोई पत्थर (संग) और ईंट (ख़िश्त से बनी वस्तु) नहीं; जो (प्रियतमा द्वारा तड़पाए जाने पर भी) पीड़ा से ना भर जाए। (अगर प्रियतमा हमें हज़ार बार सताएगी तो) हम हज़ार बार रोएंगे¡ (आखि़र) कोई (= प्रियतमा) हमें सताता क्यों है! …………………………………………………………………………….. (2) दैर नहीं; हरम नहीं; दर नहीं; आस्ताँ नहीं! बैठे हैं रैह्गुज़र पे हम… ग़ैर हमें उठाए क्यूँ?! भावार्थ: (जिस जगह मैं बैठा हूँ वो कोई) दैर (मंदिर) नहीं; हरम (मस्जिद) नहीं; (किसी के घर का) दर (द्वार) नहीं; (किसी सूफ़ी/संत का) आस्ताना (ड्योढ़ी या चौखट) भी नहीं! हम (तो बस) रैह्गुज़र (आम रास्ते) पे बैठे हैं! (फिर ये) ग़ैर [पराया व्यक्ति, जो असल में मेरा रक़ीब (प्रेम में मेरा प्रतिद्वंद्वी) है] हमें (आम रास्ते से) उठा क्यों रहा है। ………………………………………………………………. (3) क़ैदे-हयातो-बंदे-ग़म = क़ैदे-हयात + व (और) + बंदे-ग़म क़ैदे-हयात = वो कारावास (क़ैद) जिसे हम जीवन (हयात) कहते हैं, जीवनरूपी कारावास बंद = बंधन, फंदा, शिकंजा; Bond Fastening, Fetters, Chain बंदे-ग़म = दुख का फंदा Bond Fastening, Fetters, Chain क़ैदे-हयातो-बंदे-ग़म… अस्ल में दोनों एक हैं! मौत से पहले आदमी ग़म से निजात पाए क्यूँ?! भावार्थ: जीवन-नामक कारावास और दुखों का फंदा (क़ैदे-हयातो-बंदे-ग़म) अस्ल में दोनों एक ही हैं! मौत से पहले आदमी का दुखों (ग़म) से मुक्ति/छुटकारा (निजात) पाना असंभव है?! …………………………………………………………………………………………… (4) हाँ वो नहीं ख़ुदा-परस्त! जाओ वो बेवफ़ा सही! जिस को हो दीनो-दिल अज़ीज़... उस की गली में जाए क्यूँ?! भावार्थ: (मुझे मेरे महबूब को भूल जाने की नसीहत करनेवालों मैंने माना के) हाँ! वो ईश्वर को पूजने वाला (ख़ुदा-परस्त) नहीं; [वो मुझे अपने धर्म (दीन) से दूर कर देगा!] जाओ! (ये भी मान लिया के) वो बेवफ़ा है (एक दिन मेरा दिल तोड़ेगा!) मैं तुम्ही से पूछता हूँ के जिस को अपने धर्म और दिल (दीनो-दिल अज़ीज़) प्यारे हों... वो उस की गली में (अपने धर्म और दिल को बरबाद करने) क्यूँ जाए?! ………………………………………………………………………………… (5) ख़स्ता = दुर्दशाग्रस्त, बदहाल; Fragile, Debilitated, Unwell, Weak, Dilapidated, Decayed ज़ार-ज़ार = बहोत अधिक, फूट-फूट कर ग़ालिबे-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बंद हैं रोइए ज़ार-ज़ार क्या कीजिए हाए-हाए क्यूँ?! भावार्थ: बदहाल ग़ालिब ('ग़ालिबे-ख़स्ता) की मौतपर फूट-फूट कर (ज़ार-ज़ार) रोनेवालों आख़िर उस निकम्मे, नाकारे शाइर के ना रहने से तुम्हारे कौन से काम बंद हो गये हैं के तुम फूट-फूट कर रो रहे हो और हाए-हाए किये जा रहे हो?!
Ghalib ne insaani qabiliyat ko ek aiesi uchaayi di hai jaha apka Dil zehan khud ba khud ehtaraam -e-sajda go ho jata hai, aur koi ehsaas-egunaah bhi nahi hota, hai na ye bemisàl Kamal, amazing
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़ीश्त दर्द से भर न आये क्यूँ रोयेंगे हम हज़ार बार कोई हमें सताये क्यूँ दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं बैठे हैं रहगुज़र पे हम गैर हमें उठाये क्यूँ क़ैद-ए-हयात-ओ-बन्द-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाये क्यूँ हाँ वो नहीं ख़ुदा-परस्त जाओ वो बेवफ़ा सही जिस को हो दीन ओ दिल अज़ीज़ उस की गली में जाए क्यूँ 'ग़ालिब"-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बन्द हैं रोइये ज़ार-ज़ार क्या कीजिये हाय-हाय क्यूँ