आणव,मायिय ,कार्मिक त्रिमल किशुद्धी कर, सामान्य जण,मनुष्य उत्तम साधक याने मुमुक्षु हॉकरबंधन मुक्त शिव सायुज्य प्राप्त करता है। पशु पाश षोडकर परमेश्वर को प्राप्त कर ता है । अतिसूदर सियमित शांती का मुक्तीका उपदेश मिल गया प्रणाम गुरुजी बहोत ही गुड गुप्त ग्यान सहज प्रदान कीया आपणे शतशः नमन है सभी शिव भकतो की ओर से ।
प्रणाम गुरुजी आपकी साधना सिद्धी वाग्देवी सिद्ध पुरुष यौगिक क्रियपाद, ज्ञानपाद,चर्या पाद,पुरी सिद्धी आपको प्राप्त होगाई है । आपही शिव भक्त ओर श्री राम भक्त सभी । भकतो को समरस कर शकते हो । धन्यवाद प्रणाम गुरुजी ,ज्ञानीनाम सद्गुर्वे नमः ।
चार पाश हैं 1. मल जग के सारे भौतिक पदार्थ मल हैं जिन विषयों का इंद्रीयां भोग करती हैं वे इंद्रीयों को मलीन कर देतीं हैं यह यभ मल हैं इनके साथ राग और द्वेष पैदा हो जाते हैं 2.कर्म दूसरा पाश कर्म का है अच्छा कर्म भी जनम मरण का कारण हो जाता है 3. माया है अज्ञान यही सारे दुख का कारण है मल की आकर्षित होने का कारण यही अविद्या है अज्ञान है नाया अंधकार का कारण है अंधकार का प्रतीक है 4. रोध शक्ति जब रोध शक्ति की कमी हो जाती है तो वो ज्ञान को हमारे अंदर नहीं आने देती यह अच्छे विचारों को रोक लेती है
Shaiv nazar se Oonch neech, chota bada concept apne aap me ek pradushan ya agyan hai. For example varna ya caste (Purusha sukta pradushit mal hai). Request hai ispar prakash dalen.
Guru ji I have a small question please explain the concept of Kal yug, Satya yug and Dwakar yug because as per historical and scientific proof there was stone age ,brounge age, copper age about 3000 years ago discovery of Iron made only in 1000 BC only. Kindly let the viewers know about facts
Your knowledge is hats off..........while death when person soul departs from this world......what attma says.......any scinentifc proof that soul is giving any proof that he is departing and who has come to receive them......