श्रीमान आपने बहोत उच्च कोटि का कार्य किया है। जिस प्रकार मधुमक्खी हर फूल का रस जमा कर शहद बनाती है, उसी प्रकार आपने गुरुजी के इन चुनिंदा विषयों पर वीडियो बनाकर हमारे लिए ज्ञान रूपी शहद प्रदान किया है। धन्यवाद।
भगवान परशुराम और उनकी लीलाओं (क्रिया- कलापों) के अज्ञानता मूलक अंधविश्वास का भंजन (संहार, नाश) कर सत्यज्ञान का विद्वतापूर्ण निरूपण के लिए आदरणीय श्री गुरु जी को कोटि कोटि प्रणाम🙏💕 धन्यवाद🙏💕 बेहद की परम महा शान्ति है🙏💕 परमशान्ति. ओआरजी वेबसाइट.
अग्रतः चतुरो वेदाः पृष्ठतः सशरं धनुः । इदं ब्राह्मं इदं क्षात्रं शापादपि शरादपि ।। - चार वेद जिन्हें मौखिक हैं अर्थात् पूर्ण ज्ञान है एवं पीठपर धनुष्य-बाण है अर्थात् शौर्य है। अर्थात्, यहां ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज, दोनों हैं। जो कोई इनका विरोध करेगा, उसेशाप देकर अथवा बाणसे परशुराम पराजित करेंगे। ऐसी उनकी विशेषता है।
आदरणीय, आपने सिन्हा साहब के उद्गार रिकार्ड कर जनसाधारण को उपलब्ध कराए इसके लिए आपका बहुत उपकार। दिन में जब भी समय मिलता है। आपके वीडियो देखता रहता हूँ। 🙏
aap yakeen nahi karenge aaj duphar ko me iss hi video ke baare me soch raha tha jisme andhere me Guruji bhagwaan Parshuram ke bare me batata rahe hai. akshaya tritya = parshuram jayanti :) keep reuploading such videos from time to time on special occasions
यह भी कहा जाता है कि महाराष्ट्र में जो कोंकण विभाग है वह परशुराम लोटे के नाम से जाना जाता है। दूसरा में ने यह बात भी पढी है कि परशुराम जी को जिस लोगो ने साथ दिया था उनकी लड़त में वो लोग असल में इरानियन ओरिजिन के थे जिनको परशुराम जी ने कोंकण में बसाये जो चिप्तवं भ्रामण के नाम से जाने जाते है। क्या historically यह कितना सच है इसकी पुष्टि हो सकती है।
कश्मीर कर्कोटक नागो के वँश थे 8 वी सदी मे कश्मीर का महान राजा ललिता दित्य भी कर्कोटक नाग का वँश था। जिसने सूर्या मर्तांड् मंदिर बनाया था। आर्यो का क्षेत्र विंध्य आँचल पर्वत से हिमालय सप्त सिंधु से काशी ये क्षेत्र रहा। विंध्य पर्वत से नीचे के सभी जातियों को अनार्य कहा है:- चोल, पांड्य, चेर, आदि सभी अनार्य माने गए है। और काशी से आगे का क्षेत्र आज का बिहार(अंग), झारखंड, बंगाल(वनग), को नाग वँशी है। मगध राजवँश को भी तक्षक नाग का वँश कहा है। 7 नाग न होकर 9 नागो के वँश रहे है। जो काशी के पूर्ण से गभस्तिमान द्वीप (जापान) तक फैले थे। आज के बिहार, झारखंड, बंगाल के 90% लोग इन्ही नागो के वँश है। इसलिए ये अलग से दिखते है और श्शेष भारतीय से अलग से दिखते है और सभी के गोल चेहरे होते है और त्वचा गेरुये रंग की तथा चमड़ी पर बहुत कम बाल होते है। आज धरती पर देवता, नाग, अनार्य, मलेछ,दैत्य, पिशाच, यक्ष, मानव(मनु की सं तां न) , आदमी(आदम - हव्वा की संतांन) , राक्षस सभी कलयुग के प्रभाव से एक साथ खाते पीट है और सभी नष्ट भ्रस्ट हो चुके है। कलयुग की यह सदी :-1890 से 2040-50 - धन राजकुबेर की हैअंत आज दुनिया मे केवल धनी लोग राज कर रहे है। वरतमांन मे जितने अमीर लोग है वे सभी कुबेर के वंशज है जो अभी अपने हिस्से का भोग कर रहे है 2040-50 के मध्य् कुबेर के अनुजों का शासन सम्पत होकर पूरी धरती मे पुन्ह राजतन्त्र आ जायेगा। ये सत्य है यही इस कलयुग के भाग्य मे पूर्ण से लिखा सत्य है।
जी सर, मद्र देश आज का ब्लॉचिस्थान और क्वेटा का क्षेत्र रहा। प्राचीन काल में गंधार और मद्र देश एक ही था। रामायन काल मे इस क्षेत्र पर 3 करोड़ गंधर्व रहते थे जिनका राजा " शैलूक" था। भारत ने इस क्षेत्र पर हमला कर इस गंधर्व देश को दो प्रांतों मे बाँट एक का नाम :- गंधार किया, दूसरा मद्र (क्वेटा पाकिस्थान). जो द्वपर युग में शक्तिशाली और स्वतन्त्र राज्य बने। और बचे गंधर्व उतर की और हिमालय में भागे आज के पाकिस्थान के " Kalasa people " उन्ही प्राचीन गंधर्वो बचे वंश है जो अधिकतर अब म्लेछों के कारण वर्ण शंकर हों गये है। और अब कितने शुद्ध है अब पता नहीं।
सर परशुराम जी आज भी कुल्लू के निरमंड स्थान मे समाधि मे लीन है। कहा जाता है जब द्वापर के बाद कलयुग का आगम हुआ तब परशुराम ने अपने साथ 500 सारस्वत ब्राह्मण, 120 हाली (किसान), 60 लूहार, 60 कुम्हार अपने साथ लाकर बसाये थे और स्वयम वहाँ पर समाधि ले ली थी। हमारे बजुर्ग बोलते है परशुराम जी अमर है हर 12 वर्ष बाद परशुरामी जी अपनी समाधि तोड़ते है उस समय वे भुन्डा उत्सव मानते है फिर समाधि मे लिन हो जाते है। रही बात जमदग्नि ऋषि की तो वे मलाना गाओ के आराध्य देव जमलु है जो भद्र मास की कृष्ण अस्तमि को वाह सह शरीर आते है । हम पराशर ऋषि के कुटुंब है 500 साल पहले सुख देव ऋषि जी और हम एक ही चौकी (घर) मैं रहते थे। हम बड़े दुर्गम स्थानों पर रहते है आज इंटरनेट से जुड़े है हालाँकि आज भी सड़क हमारे गॉव से 12 KM दूर है। अब ऋषि जी केवल चुने हुए गुरु के मध्यम से बोलते है शरीर मे प्रवेश द्वारा और उच- नीच के कारण अब ऋषि का स्थान घर से बाहर मंदिर कर दिया है। उन्ही पितर देव जी ने भागवत पुराण लिख, और उनके पिता ने वेद, पुराण, उपनिषद। हालाँकि अब कलियुग सारे फैल गया है और धरती पर विद्यमान देवी - देवता अपने स्थान छोड़ रहे है। केदारनाथ से भगवान हरिगर्व ने 2013 मैं छोड़ दिया था अब वहाँ केवल पथर की मूर्त है वहाँ ईश्वर नही है जब उन्होंने स्थान छोड़ तब उसका संकेत बाड़ के रूप दिया था। अब तो धरती पर बहुत थोड़े देवी - देवता बचे है जो भी जल्द स्थान छोड़ कर अपने धाम चले जायेंगे जैसे - जैसे कलयुग भीष्ण हो रहा है। अब कलयुग 100 गुणा तेज गति से बड़ रहा है। भविष्य अधकार दिखता है। धरती से क्षमा, दान, शीलता नष्ट हो गयी है। लोग मे वैधिक कर्म लोप हो गये है पितृ लोग मैं पितृ भूखे- प्यासे है क्युकि धरती से श्रधा कर्म नष्ट हो गये है पूरी धरती आडम्बर से भर गयी है। दैत्य, पिशाच, मानव, आदमी सभी एक हो गए है उनमे न अब कोई अंतर है न भेद सभी एक जैसे है। सर से मुड़े, कुडल,शिखा विहीन, लोभी, विधर्मी पहचान मुश्किल है।। ओम् शांति
So simple. Since cycle is for one kalp is one thousand mahayuga and it is divided in fourteen manvantaras each with seventy one mahayugas. At present it is twenty eight kaliyug ,it means twenty seven mahayugas are completed.lord parasuramji is aaveshawatar borned in every treta yug. He had finished bad kshatriya clans of sahasbahu , story repeated in every treta ,the purans thus nates twenty-one times.
तो महाभारत मे जो लिखा है की क्षातर्य महिला ने ब्राह्मण ऋषि से शादी करके उस से संतान पैदा किया ये तो बहुत घृणित बात है 😭😭 फिर ऐसा क्यो लिखा जबाब दीजिए👆 Please reply me please गरीबो मे नही बल्कि ऋषि कश्यप को दान दिया था ऐसा गरुड़ पुराण मे लिखा है 👆 इतना झूठ क्यों बोल रहे है 👆 PHD करके भी 😭😭
क्या विचित्र रचना समाज की? गिरा ज्ञान ब्राह्मण-घर में, मोती बरसा वैश्य-वेश्म में, पड़ा खड्ग क्षत्रिय-कर में। खड्ग बड़ा उद्धत होता है, उद्धत होते हैं राजे, इसीलिए तो सदा बनाते रहते वे रण के बाजे। और करे ज्ञानी ब्राह्मण क्या? असि-विहीन मन डरता है, राजा देता मान, भूप का वह भी आदर करता है। 'सुनता कौन यहाँ ब्राह्मण की, करते सब अपने मन की, डुबो रही शोणित में भू को भूपों की लिप्सा रण की। अब तो है यह दशा कि जो कुछ है, वह राजा का बल है, ब्राह्मण खड़ा सामने केवल लिए शंख-गंगाजल है। कहाँ तेज ब्राह्मण में, अविवेकी राजा को रोक सके, धरे कुपथ पर जभी पाँव वह, तत्क्षण उसको टोक सके। 'और कहे भी तो ब्राह्मण की बात कौन सुन पाता है? यहाँ रोज राजा ब्राह्मण को अपमानित करवाता है। चलती नहीं यहाँ पंडित की, चलती नहीं तपस्वी की, जय पुकारती प्रजा रात-दिन राजा जयी यशस्वी की! थकी जीभ समझा कर, गहरी लगी ठेस अभिलाषा को, भूप समझता नहीं और कुछ, छोड़ खड्ग की भाषा को। 'रोक-टोक से नहीं सुनेगा, नृप समाज अविचारी है, ग्रीवाहर, निष्ठुर कुठार का यह मदान्ध अधिकारी है। इसीलिए तो मैं कहता हूँ, अरे ज्ञानियों! खड्ग धरो, हर न सका जिसको कोई भी, भू का वह तुम त्रास हरो। 'नित्य कहा करते हैं गुरुवर, 'खड्ग महाभयकारी है, इसे उठाने का जग में हर एक नहीं अधिकारी है। वही उठा सकता है इसको, जो कठोर हो, कोमल भी, जिसमें हो धीरता, वीरता और तपस्या का बल भी। वीर वही है जो कि शत्रु पर जब भी खड्ग उठाता है, मानवता के महागुणों की सत्ता भूल न जाता है। सीमित जो रख सके खड्ग को, पास उसी को आने दो, विप्रजाति के सिवा किसी को मत तलवार उठाने दो। ~ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
अगर ये बात सही है तो महाभारत मे क्यों लिखा है परशुराम ने 21 बार राजपूतो को मारकर पृथ्वी कश्यप को दान दे दिया क्षतर्य महिला विधवा हो गयी तो ब्रमनो ऋषि की आशय ले ली उसी ब्रम्हा ऋषि का पुत्र क्षतर्य है 😡 इतना झूठ मत बोलो सच्चाई बताओ कहाँ से आये क्षतर्य
भागवत पुराण अनुसार भृगु ऋषि तीनो त्रि देवकी सहनशक्ति के देखना चाहते थे। ब्रह्मा जी को अभिवादन नही किया तो वोह चुप रहे। शिव क्रोधित हो गए और पीछे भागे जब विष्णु के पास गए तो वोह ध्यान योग में थे भृगु ने छाती पर लात से प्रहार किया उन्होंने कहा मेरी बज्र जैसी छाती से आपके पांव को चोट तो नही लगी।पर लक्ष्मी ने शाप दिया कि ब्राह्मण दरिद्र रहेंगे,,,,,
कैसे ?वो तो बस कॉपी पेस्ट का मास्टर था, पश्चिमी संविधानों को चुरा कर बस एक जगह दूसरे विद्वानों की सहायता से लिख दिया। और वो अंग्रेजों के खिलाफ कभी नही बोला, हां वो शकुनी का अवतार जरूर है।
Bhai tumhare according agar Aryan invasion hua bhi ha tho ...tum kayar Hye ki invasion rok nhi paye....bharamn mahan hue ...ki vo itne powerful the ki invasion kar paye.... Sahi baat tho ye ha bharamn hi ha...ha jinse sanatan dhrama ka uday hua ...jinhone sab jagha felya
Tumhe aata jata kuch hai nhi bas narrative walo se Sikh k chill po kar rahe yaha , do crore Inam Sanjay dixit ne rakha hai proov kar do Aryan invasion theory, tumhe ye left so called historian ek bhi aage kyu nhi aaye proof karne? Aryan invasion theory jab galat shabit ho gaya to usko ab Aryan migration theory bolne lage leftist fir kuch din me Aryan tourism theory bolne lagenge kyunki ye theory hone k liye kisi bhi science k paimane par khara nhi utarta
@@DS-yx4zh Ek professor ne 20 lakh inaam rakha thha. Ab Sanjay Dixit ji ne 2 crore ka inaam rakha hai. Yani inn dono ke paas bahut bada proof haath laga hai aryan invasion ya migration theory ke against. Videsho me bhi iss theory ko reject kiya gaya hai lekin leftist log desh ki ekta ko tode rakhne ke liye jabardasti iss theory ko pakad kar rakha hai. Proof maangne par inke paas kuchh nhi hota, bas kehte rahenge ki trusted sources se humne verify kar liya hai.🤣 Inward aur outward migration toh hota raha hai lekin Arya videshi thhe iska koi saboot nhi. Muslim aur christians chhod kar baaki sabhi log bharat aaye aur achhe se ghul mil gaye (yavan, shaka, hun wagehra). Arya aur dravid shabdo ko misinterpret kar ke hutiya banaya logo ko. Ab ye propaganda chalaya jaa raha hai ki Bangali, Bihari wagehra saare dravid race hain.🤣 Mujhe isse koi dikkat nhi kyunki bagal me bangal ki khaadi hai, issliye hum dravid bhi hain. Achhe sanskaar ki wajah se Arya bhi hain. Lekin inke Arya dravid ke definition se sehmat nhi hu.