हम प्रकृती का हिस्सा है, और प्रकृती अस्थिर है, और हम स्थिर रहना चाहते है, तो स्थिर और अस्थिर के बीच मे जो संघर्ष है वही स्थिर की अस्थिर को चुनौती है, मगर प्रकृती का स्वभाव तो अस्थिर है ,तो स्थिर की जीत कैसे होगी अगर हमे जितना है, तो खुद को अस्थिर करो, वक्त और प्रकृती के साथ खुद में बदलाव लाओ खुद को बदल ना ही सबसे बडी चुनौती है, उसी से लड़ना और उसे पर विजय पाना हमारा प्राथमिक कार्य है.
आचार्य वागीश जी आपका प्रवचन अच्छा है लेकिन यदि ये प्रवचन आज्ञानियो के बिच होता तो लोगो के दिल तक जाती लेकिन वैदिक विदवानों की यही सबसे बड़ी कमी है कि बड़े-बड़े मंच सजाते हैं दुर्लभ लोगों के बीच नहीं जा पाते ❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉😂😂😂🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉😢
Is waqth Sarvadeshik sabha ka Acharya koi hai, Agar nahi tho, Sri Dr Vagish Acharyaji ko - Sarvadeshik sabha ke Acharya banakar, unke magadarshan se Sabha kam karna cnahiye.