ॐ
दरबार में मेरे सतगुरू के दुख दर्द मिटाए जाते हैं,
जो तंग आये इस जीवन से इस दर पर हँसाए जाते हैं ।
यह महफ़िल है दीवानों की हर शख़्स यहाँ मतवाला हैं,
भर भर के प्याले अमृत के यहाँ खूब पिलाये जाते हैं ॥
क्यूं डरते हो ऐ जगवालो इस दर पर शीष झुकाने से,
इस दर पर तो ऐ नादानों सर भेंट चढ़ाए जाते हैं॥
जिसको ठुकराया दुनिया ने और ठोकर खाकर गिर गए,
एक बार जो दर पर आ जाए वो सर पर चढ़ाए जाते हैं ॥
ये मुक्ति का द्वारा है भव बन्धन यहाँ कट जाते हैं,
पापी से पापी बाँह पकड़ यहाँ पार लगाए जाते हैं॥
इल्ज़ाम लगाने वालों ने इल्ज़ाम लगाए लाख मगर,
तेरी सौग़ात समझ के हम सर पे उठाए जाते हैं॥
जिन प्यारों पर ऐ जगवालों है ख़ास इनायत सतगुरू की,
उनको ही संदेशा आता है और वे ही बुलाये जाते हैं ॥
सिर धर के हथेली पे आ जाओ हसरत है जीते जी मरने की,
भक्तों के जनाज़े खूब यहाँ इस दर पे सजाए जाते है,
दरबार में मेरे सतगुरू के दुख दर्द मिटाए जाते हैं,
जो तंग आये इस जीवन से इस दर पे हँसाए जाते हैं ॥
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26 апр 2024