ॐ
गुरु चरणों में गुरु मुख बनके,
आज मेरा नया जन्म हुआ
नाम रूप का अंत हुआ,
जगत का झूठा नाम गया ।
छूट गये मोह ममता के बंधन,
आज कोई ज़ंजीर नहीं
जगत के झूठे नाम रूप की,
मन में कोई भी तस्वीर नहीं
ख़ुद आदि हूँ मैं, ख़ुद अंत हूँ मैं,
और व्यापक हूँ सारे नज़ारों में।।
द्वैत की वाणी झलके जिसमें,
मैं वो तराने भूल चुका
समता ही हैं मंज़िल मेरी,
गुण अवगुण मैं भूल चुका
अब शांत हूँ मैं, आज़ाद हूँ मैं.
कुछ काम नहीं है औरों से ।।
सफ़ल हुई है आत्म साधना,
मन को अनोखा ज्ञान मिला
गुरु वचनों से गुरूमुख होके,
मुझको नया वरदान मिला,
अब अजर हूँ मैं, और अमर हूँ मैं
महाकाल को डर क्या कालों से।।
-----------------------------------------
29 янв 2024