ॐ
स्वाँसो की डोरी से तू,
सिमरन के मोती पिरोले
मेरा हर स्वाँस तू-ही तू-ही बोले ।
रसना बोले ना बोले, मन बोलता है,
सिमरन के सच्चे मोती मन तोलता है
तेरा जैसा ना कोई ज्ञानवान होगा,
हर पल प्रभु से जोड़े वो ध्यान देगा
मीरा कबीर जैसी मस्ती चढ़ेगी हौले-हौले ।।
जैसे सीता के मन में राम बसे हैं,
जैसे राधा के मन में श्याम बसे हैं
ऐसा बसाले हम गुरुवर को मन में,
आनंद छाया रहे हर पल जीवन में
भक्ति में डूबे रहें भक्ति के रंग में ।।
आज भी सत्गुरु ने ये ज्ञान दिया है,
प्यारा है गुरु का जिसने सिमरन किया है
सारे दुखों की सिमरन एक दावा है,
ग्रंथों में प्यारे ये ही लिखा है
सिमरन करने वालों का मन कभी ना डोले ।।
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6 авг 2024