ॐ
तुझको पुकारे गुरू का प्यार हो,
मनवा मुक्ति खड़ी है तेरी राह में ।
कितने युगों तक ठोकर खाई मनवा माया की तूने,
तज के प्रभु की अंगुली है पकड़ी मनवा छाया की तूने,
पायेगा कैसे करार मनवा मुक्ति खड़ी है तेरी राह में॥
लाख चौरासी चक्कर खाया पाया नर तन का चोला,
आख़िरी जन्म है गवाँ ना इसे तू है यह बड़ा अनमोला,
गुरू वचनों से इसे संवार मनवा मुक्ति खड़ी है तेरी राह में॥
भटक रहा था दर पर फिर भी तुझको मिला ना सहारा,
जैसे भवंर में फँसी हुई नैया को मिले ना किनारा,
आ गये खेवनहार मनवा मुक्ति खड़ी है तेरी राह में॥
जो साहिब खुद सदा हजूरे ताको जाना है दूरे,
सब घट हरि का दर्शन कर ले हो जाये काम तेरे पूरे,
सतगुरू है कृष्ण मुरार मनवा मुक्ति खड़ी है तेरी राह में॥
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25 апр 2024