परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने इस विडियो में उज्जाई प्राणायाम के बारे में बताये हैं
आठ प्राणायामों में सबसे महत्वपूर्ण उज्जाई प्राणायाम हैं उज्जाई प्राणायाम में लम्बा गहरा साँस भरते हैं और रोककर रखते हैं रोककर रखते हैं तो जालंधर बंद लग जाता हैं बोलबंद भी लगा सकते हैं ठोढ़ी को कंठकोक में लगा देना और जालंधर बंद और श्वास को रोककर रखा ध्यान मुद्रा या वायु मुद्रा में हाथ को रख सकते हैं यथा शक्ति रोकने के बाद दायें नाक को बंद करके बायें नाक से श्वास को छोड़ देंगे इसी तरह से इसको 21 बार तक कर सकते हैं गले के अभ्यास के लिये थायराइड - पैराथायराइड के लिए गले के संक्रमण खर्राटे तुतलाहट व टांसिल के लिये उज्जाई प्राणायाम बहुत ही लाभकारी हैं जिनको बार बार गले में संक्रमण होता हैं बार बार गला ख़राब होता हैं उनके लिए उज्जाई रामबाण हैं और उज्जाई प्राणायाम कभी भी कर सकते हैं कपालभाति व बाह्य प्राणायाम खाने के 4-5 घंटे बाद ही करे जिनको नींद नही आती वो अनुलोम विलोम भ्रामरी प्राणायाम सोते समय करे उज्जाई प्राणायाम में कोई सावधानी की बात नही इसको बच्चो से लेकर के बड़ो तक सभी कर सकते हैं और जो छोटे बच्चे हैं उन्हें भी उज्जाई प्राणायम करने के लिए प्रेरित करे और इसका खास फायदा जिनको पारकिंसन गले के पैरालाइसिस, स्वरभंग में या किसी की आवाज बैठ जाती हैं ऐसे में कपालभाति व उज्जाई प्राणायाम करे
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7 сен 2024