#yatindrasaheb #khushhalzindagitv अंधविश्वास का भंडाफोड़ superstition busted क्या सचमुच में भगवान ने दुनिया बनाई? Did God really create the world? धर्म बनाम अंधविश्वास? Religion vs superstition? - क्रांतिकारी संत श्री रमाशंकर साहब
पुरी दुनिया में हजारों लाखों ज्ञांनी हे उसमे यही एक बोलें वही सही नही हो सकता सिर्फ कबीर जी आखरी ज्ञानि नही हे अभी हे पहे ले भी थे और हजारों लाखों ज्ञांनि आएंगे ज्ञान लेना उचीत हे देना भी उचीत हे मगर खुदकी सुझबुझ से प्राप्त ज्ञान ही सचा ज्ञान हे
महापुरुषोँ को प्रणाम करते हैं , माँ के गर्भ में पल रहा जीवन उसी जाति का हो जाता है, कितना भी ज्ञान व विद्य्वता क्यों न हो वह जाति बन्चना का दंश ढोता रहता है , जाति का जहर सबसे बड़ा है ,
प्रिय आत्मन, बहुत खूब... इसी तरीके से अपने पसंदीदा यूट्यूब चैनल खुशहाल जिंदगी के तमाम वीडियो लगातार देखते रहिए, गहराई में गोता लगाइए और अच्छी तरीके से समझ कर अपनी जिंदगी खुशहाल और सदाबहार कीजिए। इस चैनल के सभी वीडियोस को ज्यादा से ज्यादा शेयर करिए तथा अपने अपनों में बांटते रहिए... खूब-खूब प्रेम और अनंत साधुवाद! 💐💐💐
श्रीमान जी आप सभी को राम राम जी जो मनुष्य ईश्वर के प्रेम करेगा बो अजर अमर हो जायेगा जो सरीर के लिए मरेगा उसको दुबारा मनुष्य शरीर भी दुर्लभ है इस्से बचने का रास्ता सदगुरु भगवान के माध्यम से जब तक उसका उद्धार नहीं है राम राम जी
बाबा आपकी बातें सुनकर के बहुत आनंद आया लेकिन बाबा यह बताइए संत रविदास को गंगा मैया ने दर्शन दिया क्या बाबा यह बात सत्य है कमेंट में जरूर बताएं और मां बाप के चरणों में बार बार मेरा नमन
Bhai bageshvar dham dhirendra sastri hajaro logo ka dukh dur karte he use log ભગવાન કી તરહ પુજતે હે તો બતાઓ કબીર સાહેબ ને કોઈ પરચા આજ તક બતાયા કળિયુગમાં જય શ્રી રામ
जय श्री कृष्ण. इसका सब जबाब भगवत गीता है. मत्स्य अवतार, परशुराम कथा, विष्णु पुराण पढिये जीवन का सार मिल जायेगा. मनुष्य ने जैसा चहा वैसा जीवन मिल जाता है. भलेही वो हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हो. इस सृष्टी की सब एकही ऊर्जा है. मनुष्य जैसा कर्तव्य, कर्म, कष्ट करता है वैसा ही जीवन मनुष्य को मिलता है. जय कबीर वाणी
सभी धर्मों का निरादर करने वाला कभी भगवान का भक्त हो ही नहीं सकता है ।आप सभी धर्मों संतों ग्रंथो और ब्राह्मणों की निंदा करते रहते हैं इससे क्या आप विद्वान माने जायेंगे ।सबसे सच्चा प्रमाण यह है जिसको ईश्वर का ज्ञान हो जाता है वह किसी मे भेद नहीं करता और न ही किसी की निंदा करता है ।अगर निंदा करता है तो वह अपने को भक्त नहीं बल्कि घमंडी सिद्ध करता है ।
कबीर का ज्ञान अलौकिक है लेकिन उनके गुरु रामानंद जी थे और उन्होंने कबीर जी को राम नाम दान किया था रमाशंकर जी बाकी मन गढ़ांत कहा से लाते हो आप की व्याख्या आपको राम से दूर ले जाती है