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रामचरितमानस मूलपाठ: बालकाण्ड दोहा (२८-४०) 

RamcharitManas-Kashi
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रामचरितमानस मूलपाठ: बालकाण्ड प्लेलिस्ट
• रामचरितमानस मूलपाठ:बाल...
हौहु कहावत सबु कहत राम सहत उपहास।
साहिब सीतानाथ सो सेवक तुलसीदास ॥ २८(ख) ॥
अति बड़ि मोरि ढिठाई खोरी। सुनि अघ नरकहुँ नाक सकोरी ॥
समुझि सहम मोहि अपडर अपनें। सो सुधि राम कीन्हि नहिं सपनें ॥
सुनि अवलोकि सुचित चख चाही। भगति मोरि मति स्वामि सराही ॥
कहत नसाइ होइ हियँ नीकी। रीझत राम जानि जन जी की ॥
रहति न प्रभु चित चूक किए की। करत सुरति सय बार हिए की ॥
जेहिं अघ बधेउ ब्याध जिमि बाली। फिरि सुकंठ सोइ कीन्ह कुचाली ॥
सोइ करतूति बिभीषन केरी। सपनेहुँ सो न राम हियँ हेरी ॥
ते भरतहि भेंटत सनमाने। राजसभाँ रघुबीर बखाने ॥
दो. प्रभु तरु तर कपि डार पर ते किए आपु समान ॥
तुलसी कहूँ न राम से साहिब सीलनिधान ॥ २९(क) ॥
राम निकाईं रावरी है सबही को नीक।
जों यह साँची है सदा तौ नीको तुलसीक ॥ २९(ख) ॥
एहि बिधि निज गुन दोष कहि सबहि बहुरि सिरु नाइ।
बरनउँ रघुबर बिसद जसु सुनि कलि कलुष नसाइ ॥ २९(ग) ॥
जागबलिक जो कथा सुहाई। भरद्वाज मुनिबरहि सुनाई ॥
कहिहउँ सोइ संबाद बखानी। सुनहुँ सकल सज्जन सुखु मानी ॥
संभु कीन्ह यह चरित सुहावा। बहुरि कृपा करि उमहि सुनावा ॥
सोइ सिव कागभुसुंडिहि दीन्हा। राम भगत अधिकारी चीन्हा ॥
तेहि सन जागबलिक पुनि पावा। तिन्ह पुनि भरद्वाज प्रति गावा ॥
ते श्रोता बकता समसीला। सवँदरसी जानहिं हरिलीला ॥
जानहिं तीनि काल निज ग्याना। करतल गत आमलक समाना ॥
औरउ जे हरिभगत सुजाना। कहहिं सुनहिं समुझहिं बिधि नाना ॥
दो. मै पुनि निज गुर सन सुनी कथा सो सूकरखेत।
समुझी नहि तसि बालपन तब अति रहेउँ अचेत ॥ ३०(क) ॥
श्रोता बकता ग्याननिधि कथा राम कै गूढ़।
किमि समुझौं मै जीव जड़ कलि मल ग्रसित बिमूढ़ ॥ ३०(ख)
तदपि कही गुर बारहिं बारा। समुझि परी कछु मति अनुसारा ॥
भाषाबद्ध करबि मैं सोई। मोरें मन प्रबोध जेहिं होई ॥
जस कछु बुधि बिबेक बल मेरें। तस कहिहउँ हियँ हरि के प्रेरें ॥
निज संदेह मोह भ्रम हरनी। करउँ कथा भव सरिता तरनी ॥
बुध बिश्राम सकल जन रंजनि। रामकथा कलि कलुष बिभंजनि ॥
रामकथा कलि पंनग भरनी। पुनि बिबेक पावक कहुँ अरनी ॥
रामकथा कलि कामद गाई। सुजन सजीवनि मूरि सुहाई ॥
सोइ बसुधातल सुधा तरंगिनि। भय भंजनि भ्रम भेक भुअंगिनि ॥
असुर सेन सम नरक निकंदिनि। साधु बिबुध कुल हित गिरिनंदिनि ॥
संत समाज पयोधि रमा सी। बिस्व भार भर अचल छमा सी ॥
जम गन मुहँ मसि जग जमुना सी। जीवन मुकुति हेतु जनु कासी ॥
रामहि प्रिय पावनि तुलसी सी। तुलसिदास हित हियँ हुलसी सी ॥
सिवप्रय मेकल सैल सुता सी। सकल सिद्धि सुख संपति रासी ॥
सदगुन सुरगन अंब अदिति सी। रघुबर भगति प्रेम परमिति सी ॥
दो. राम कथा मंदाकिनी चित्रकूट चित चारु।
तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुबीर बिहारु ॥ ३१ ॥
राम चरित चिंतामनि चारू। संत सुमति तिय सुभग सिंगारू ॥
जग मंगल गुन ग्राम राम के। दानि मुकुति धन धरम धाम के ॥
सदगुर ग्यान बिराग जोग के। बिबुध बैद भव भीम रोग के ॥
जननि जनक सिय राम प्रेम के। बीज सकल ब्रत धरम नेम के ॥
समन पाप संताप सोक के। प्रिय पालक परलोक लोक के ॥
सचिव सुभट भूपति बिचार के। कुंभज लोभ उदधि अपार के ॥
काम कोह कलिमल करिगन के। केहरि सावक जन मन बन के ॥
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद घन दारिद दवारि के ॥
मंत्र महामनि बिषय ब्याल के। मेटत कठिन कुअंक भाल के ॥
हरन मोह तम दिनकर कर से। सेवक सालि पाल जलधर से ॥
अभिमत दानि देवतरु बर से। सेवत सुलभ सुखद हरि हर से ॥
सुकबि सरद नभ मन उडगन से। रामभगत जन जीवन धन से ॥
सकल सुकृत फल भूरि भोग से। जग हित निरुपधि साधु लोग से ॥
सेवक मन मानस मराल से। पावक गंग तंरग माल से ॥
दो. कुपथ कुतरक कुचालि कलि कपट दंभ पाषंड।
दहन राम गुन ग्राम जिमि इंधन अनल प्रचंड ॥ ३२(क) ॥
रामचरित राकेस कर सरिस सुखद सब काहु।
सज्जन कुमुद चकोर चित हित बिसेषि बड़ लाहु ॥ ३२(ख) ॥
कीन्हि प्रस्न जेहि भाँति भवानी। जेहि बिधि संकर कहा बखानी ॥
सो सब हेतु कहब मैं गाई। कथाप्रबंध बिचित्र बनाई ॥
जेहि यह कथा सुनी नहिं होई। जनि आचरजु करैं सुनि सोई ॥
कथा अलौकिक सुनहिं जे ग्यानी। नहिं आचरजु करहिं अस जानी ॥
रामकथा कै मिति जग नाहीं। असि प्रतीति तिन्ह के मन माहीं ॥
नाना भाँति राम अवतारा। रामायन सत कोटि अपारा ॥
कलपभेद हरिचरित सुहाए। भाँति अनेक मुनीसन्ह गाए ॥
करिअ न संसय अस उर आनी। सुनिअ कथा सारद रति मानी ॥
दो. राम अनंत अनंत गुन अमित कथा बिस्तार।
सुनि आचरजु न मानिहहिं जिन्ह कें बिमल बिचार ॥ ३३ ॥
एहि बिधि सब संसय करि दूरी। सिर धरि गुर पद पंकज धूरी ॥
पुनि सबही बिनवउँ कर जोरी। करत कथा जेहिं लाग न खोरी ॥
सादर सिवहि नाइ अब माथा। बरनउँ बिसद राम गुन गाथा ॥
संबत सोरह सै एकतीसा। करउँ कथा हरि पद धरि सीसा ॥
नौमी भौम बार मधु मासा। अवधपुरीं यह चरित प्रकासा ॥
जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं। तीरथ सकल तहाँ चलि आवहिं ॥
असुर नाग खग नर मुनि देवा। आइ करहिं रघुनायक सेवा ॥
जन्म महोत्सव रचहिं सुजाना। करहिं राम कल कीरति गाना ॥
दो. मज्जहि सज्जन बृंद बहु पावन सरजू नीर।
जपहिं राम धरि ध्यान उर सुंदर स्याम सरीर ॥ ३४ ॥
दरस परस मज्जन अरु पाना। हरइ पाप कह बेद पुराना ॥
नदी पुनीत अमित महिमा अति। कहि न सकइ सारद बिमलमति ॥
राम धामदा पुरी सुहावनि। लोक समस्त बिदित अति पावनि ॥
चारि खानि जग जीव अपारा। अवध तजे तनु नहि संसारा ॥
सब बिधि पुरी मनोहर जानी। सकल सिद्धिप्रद मंगल खानी ॥
बिमल कथा कर कीन्ह अरंभा। सुनत नसाहिं काम मद दंभा ॥
रामचरितमानस एहि नामा। सुनत श्रवन पाइअ बिश्रामा ॥
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30 сен 2024

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@chandrashekhar1932
@chandrashekhar1932 11 месяцев назад
राम राम नाम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम !! राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे !! !! सहस्त्र नाम तत्तुल्यं राम नाम वरानवे !! !! राम नाम मनिदीप धरूं जीह देहरीं द्वार !! !! तुलसी भीतर बाहेरहुँ जो चाहसि उजियार !!
@AtulKumar-nv1ng
@AtulKumar-nv1ng 11 месяцев назад
Jai Shree Ram 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@yashwantsingh-kq8nq
@yashwantsingh-kq8nq 11 месяцев назад
Bahut sundar
@anuragmishra5938
@anuragmishra5938 11 месяцев назад
जय श्री राम
@gptiwari2179
@gptiwari2179 11 месяцев назад
जय हो🙏🙏💐💐
@snehgaur
@snehgaur 11 месяцев назад
🌹🙏🚩जय श्री राम राम 🚩🙏🌹
@SamudraguptNagda-ok6pf
@SamudraguptNagda-ok6pf 9 месяцев назад
Jay shree ram ❤
@bhanwarsinghrathore8340
@bhanwarsinghrathore8340 9 дней назад
जय जय सियाराम
@gptiwari2179
@gptiwari2179 10 месяцев назад
🌹🙏जय सियाराम🙏🌹
@aniltiwari657
@aniltiwari657 10 месяцев назад
Ram Ram Ji 🙏
@noname-zu3ty
@noname-zu3ty 11 месяцев назад
आकाशवाणी भोपाल से सबसे पहले प्रसारित रामायण पाठ
@parthsarthidubey5705
@parthsarthidubey5705 11 месяцев назад
🌹🙏🌹 जय श्री सीता राम ‌🌹🙏🌹
@geetarawat7514
@geetarawat7514 10 месяцев назад
Jay Sri Ram 🙏 from Greece 🚩🇮🇳🇬🇷
@ashokupadhyay6375
@ashokupadhyay6375 7 месяцев назад
Jay.tulase.tulasedas.je
@pratapdityashukla8223
@pratapdityashukla8223 9 месяцев назад
जय श्री सीता राम प्रभु
@mau1991
@mau1991 11 месяцев назад
जय सियाराम जय जय सियाराम 🇮🇳🪔🌺🙏हर हर महादेव 🙏🌺🪔🇮🇳
@gptiwari2179
@gptiwari2179 10 месяцев назад
🌹🙏जय सियाराम🙏🌹
@anuragmishra.9
@anuragmishra.9 11 месяцев назад
Bahut sunder
@gptiwari2179
@gptiwari2179 10 месяцев назад
🌹🙏जय सियाराम🙏🌹
@AnandSingh-jc7rh
@AnandSingh-jc7rh 11 месяцев назад
Dandvat
@anuragmishra.9
@anuragmishra.9 11 месяцев назад
जय श्री सीता राम
@prashantsingh-fv3mr
@prashantsingh-fv3mr 11 месяцев назад
जय जय श्री सीता राम हनुमान जी महाराज जी की।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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