बंदी छोड़ तत्वदर्शी सतगुरू रामपालजी महाराज के पावन चरणों में कोटि कोटि दंडवत नमन स्वीकार हो ।कबीर परमात्मा की जगत में जय जय कार हो।परमात्मा कृपा करो।बीमारियों से निवारण दिलाओ
सतगुरु जो चाहे सो कर ही 14 कोटी दूध जम डर ही अद्भुत जम त्रास निवारे चित्रगुप्त के कागज फारे समर्थ गुरु जी सब कुछ करते हैं बड़े भाग्य है जो शरण में आ गया गुरु जी का और अपना कल्याण अपना कल्याण कर आया
जग में बैरी कोई नहीं , जो मन शीतल होय | यह आपा तो डाल दे , दया करे सब कोए || अर्थ : आपके मन में यदि शीतलता है, अर्थात दया और सहानुभूति है, तो संसार में आपकी किसी से शत्रुता नहीं हो सकती। इसलिए अपने अहंकार को निकाल बाहर करें, और आप अपने प्रति दूसरों में भी समवेदना पाएंगे।
सतगुरु जो चाहे सो करहीं चौदह कोटि दूत जम डरहीं। ऊत भूत जम त्रास निवारै चित्रगुप्त के कागज फारै।। बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो सत साहेब जी