राग : कलावती विलंबित एकताल मेरा मन हार रसमत, रंगीला छबीला सुरत सावरी बतियाँ रसभरी उनकी , गुनन पर जाऊं बलिहार तीनताल पल न लागी मोरी अखियां उन बिन कल न आए पिया घबराए पिया बिन मोहे बिरह सताए निसदिन पल न लागी मोरी अखियां उन बिन बिरह आग लगी उर अंदर तपन बुझत नाही पडत छिन छिन