आपकी यह बात सही है कि कथा में लोग समझते कम है और संगीत में झूमते ज्यादा है नृत्य और गाने बजाने में ही अधिक समय व्यस्ट करते हैं दार्शनिक और अध्यात्म का अभाव सा परिलक्षित होता है🚩🚩
जिस प्रकार अपने पिताजी के लिए यह कहना उचित नहीं है की हमारे पिताजी अपनी सगी मामी से प्यार वो भी गिनोना यह कहना जितना सोभा देता है उतना ही श्री कृष्ण के साथ राधा नाम लेना लगता है।
🙏🙏🙏 आचार्य जी आपके प्रवचन सुनकर बहुत ही आंनद आता है मन करता है इस पूरे विश्व की जनता आपको सुने ओर उनके अंदर का भ्रम सारा दूर हो जाए ओर तब भारत को विश्व गुरु होने से कोई नही रोक सकता सत्य ओर असत्य की परख सभी को हो जाएगी
आचार्य जी नमस्ते राजीव दीक्षित की छवि भारतीय आप में देख रहे हैं आपसे निवेदन है किसी एक समिति संगठन समाज संस्था में बंधकर कार्य ना करें स्वामी रामदेव जी जैसे आप संपूर्ण भारत का नेतृत्व करने की कृपा करें हम सभी मानव जाति पर सत्य का प्रकाश ऐसे ही डालते रहें
दुर्भाग्य है हमारे समाज धर्म अध्यातम लोग | वह आचार्य योगेश जी जैसे विद्वान को ना के बराबर सुनते है | ये कथा वाचक ऐसे हि धर्म का नुकसान करते है । सही कहा अनिरुध आचार्य राधा का नाम नही दिखा सके ।
@@user-is6ns4fk6o थोड़ी सी अधिकचरी जानकारी से ज्ञानगर्व से भरे थोड़ा जानकर ही अपने आप को पण्डित मानने वाले ऐसे मनुष्य को तो चतुर्वेदवित ब्रह्मा भी संतुष्ट नहीं कर सकता🪔हर हर महादेव🔱🙏🔱जय श्री राम🏹🙏🏹जय श्री कृष्ण🪔🙏🪔
Mainly mahabharat me hona chahiye tha b8 usme nhi he... shishupal ne itna jhuth bol diya sri krishna ke bareme b8 ek bhi baar unhe ye keh kr nhi bulaya ke sri krishna makhan chor the,radha naam ki vivahit mahila ke sath the..agar radha hoti to sri krishna ko kitna kuch bol deta shishupal....radha thi to wo bs bhakt hogi b8 sri krishna ke sath vrundavan me thi unke sath ras leela ki ye sb jhuth he wo to choti umar me gurukul chale gaye the
@@lonerpraniBoth are Lakshmi. Lakshmi took many avatars for Krishna in Dwapara Yuga to do leelas. She wanted to be a lover, a wife, and as an eternal soulmate and for that she took many avatras. She is Radha, Rukmini, Satyabhama, Jambavati, Kalindi, Mitravinda, Nagnajiti, Bhadra, and Lakshmana as well as his 16,108 others wives. The main and direct form of Lakshmi is Radha, which is the most important form. After Radha, Rukmini. All the gopika’s are form of Radha so the gopi’s are also considered to be Lakshmi. She took so many forms to do leelas.
आचार्य जी आपकी बातें अर्ध सत्य है पूर्ण सत्य नहीं है! आर्य समाज पुराणों को नहीं मानता है इसलिए पौराणिक सत्य आपको काल्पनिक लगता है🚩 बाकी और बातें समाज सुधार से सम्बंधित सभी ठीक है!
पुराणों में लिखा है कि एक ऋषि ने सारे समुद्र को दीया था रक्त बीज से करोडो रक्त बीज हो गए, राक्षस लोग पहाड़ जैसे, किसी के 100 पुत्र हुए मनुष्य का उम्र 5 हजार 10 हजार वर्ष बताया गया है ये गप्प नहीं तो क्या भाई
Baat to achi he sir ji per jo bo pesa lete he to bo pesa unke Jeb me nahi jaata balki un peso se bradh mata bahno ko khilane ke liye lete he ya log unho dete he bo khud mangte nahi
अ कमेंट लिखने वालो तनिक बुद्धि से लिखो प्रवचन सुनने के बाद सोचो निष्पक्ष भाव से गहन चिंतन करो और सच्चाई को स्वीकार करो जैसे रोगी व्यक्ति कड़वी दवा पीता है आप भी पीओ आप भी अंध भक्ति के रोगी हो कल्याण सत्य को धारण करने से होता है और सभी जानते हैं सत्य कड़वा होता है परन्तु बीमारी को जड़ से खत्म करता है धन्यवाद
आचार्य योगेश भारद्वाज जी आपके मुख से किसी की खिल्ली उड़ाना या निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग करना ठीक नही लगता, अरे ये डॉक्टर कोपाउंड वाली तुलना का क्या मतलब सीधे तो भगवान से यहां तक कि वेदों से तो कोई नही मिलता आप भी तो वेदों को बताने वाले हैं तो क्या आपका सम्मान नही , यहां आम जनमानस को सुलभता से समझाने के लिए गुरु सम्मान में बोला गया ऐसा न हो तो गुरु शिष्य परम्परा ही नष्ट हो जाय।
Bhai sahab aap ko Shastra ka gyan Nahin Hai Kisi Sant Mahapurush ko Ninda karna ya Suna ghor Apradh han Shrimad Bhagwat Mahapuran ko aapane Kita bola Shrimad Bhagwat Mahapuran samast Bade aur purane Ki Saar hai Shri Krishna ko Pehchano Shri Krishna hi purn Parmeshwar hai
सभी पुराणों के इष्टदेव अलग है। और सभी पुराण दूसरे इष्ट देव की निंदा करते है। वैष्णव मत वाले शैव मत की निंदा करते है और शैव वाले वैष्णव की। इसी कारण दयानंद सरस्वती ने इन पुराणों के सभी बातों को प्रामाणिक नही माना। हां ,जो बातें वेदोक्त है उसे सही कहा है , बाकी सब काल्पनिक है। कभी मौका मिले तो सारे पुराणों को पढ़िये।
जब मन की वृति बहिर्मुखी होती है तो वह धारा होती है और वही धारा जब उल्ट के अंतर्मुखी हो जाती है तब वह राधा हो जाती है और मन की वृति को उलटने वाले को राधा स्वामी कहते हैं