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विष्णुसहस्रनाम अर्थ व विवरण: भाग ३९ - श्लोक क्र. ४८, प्रस्तुति - सौ. अपर्णा शंकर अभ्यंकर 

aditya pratishthan
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Vishnusahasranaama Artha va Vivaran: Part 39 - Shloka or Verse No 48 by Aparna Shankar Abhyankar | विष्णुसहस्रनाम अर्थ व विवरण: भाग ३९- श्लोक क्र. ४८, प्रस्तुति - सौ. अपर्णा शंकर अभ्यंकर
अच्युतः प्रथितः प्राणः प्राणदो वासवानुजः ।
अपांनिधिरधिष्ठानमप्रमत्तः प्रतिष्ठितः ॥
॥ ४८॥
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यस्मात्क्षरमतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तम: |
अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथित: पुरुषोत्तम: ||
॥ भ.गी.१५-१८॥
ब्रह्मणो हि प्रतिष्ठाहममृतस्याव्ययस्य च |
शाश्वतस्य च धर्मस्य सुखस्यैकान्तिकस्य च ||
॥ भ.गी.१४-२७॥

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15 окт 2024

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